एनटॉड फार्मास्यूटिकल्स के प्रेस्वू आई ड्रॉप्स को डी सी जी आई द्वारा मिली मंजूरी

० योगेश भट्ट ० 
 नई दिल्ली : भारतीय फार्मास्यूटिकल्स इंडस्ट्री में नामी कंपनी एनटॉड फार्मास्यूटिकल्स को उनके इनोवेटिव 'प्रेसवू' आई ड्रॉप्स के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) से मंजूरी मिल गई है। प्रेसवू प्रेसबायोपिया के इलाज़ में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इस ऑय ड्रॉप पर एनटॉड फार्मास्यूटिकल्स को सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) से पहले ही मंजूरी मिल चुकी थी।

प्रेसवू भारत में पहली आई ड्रॉप है जिसे विशेष रूप से प्रेसबायोपिया से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बिना चश्मे के पढ़ने के लिए बनाया गया है। प्रेसबायोपिया एक उम्र से संबंधित सामान्य दृष्टि की बीमारी है। इस बीमारी से आमतौर पर 40 से ज्यादा उम्र के लोग पीड़ित होते हैं। कंपनी ने प्रेसवू के निर्माण और प्रक्रिया के संदर्भ में इस आविष्कार के लिए पेटेंट के लिए भी आवेदन किया है। एनटॉड का यह फॉर्मूला न केवल पढ़ने वाले चश्मे से छुटकारा दिलाता है बल्कि मरीज़ को एक अतिरिक्त लाभ देता है जैसे कि यह आँखों को नमी देने में भी मदद करता है। 

ये आई ड्रॉप आंसू के PH को तेजी से अनुकूलित करने के लिए एडवांस्ड डायनामिक बफर तकनीक का उपयोग करते हैं। इस वजह से लंबे समय तक इसका असर बना रहता है और आंखो को सुरक्षा मिलती है। बात जब सालों तक आई ड्रॉप इस्तेमाल करने की आती है तो यह कारगर साबित होती है।

एक रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक स्तर पर 1.09 बिलियन से 1.80 बिलियन लोगों के प्रेस्बायोपिया से पीड़ित होने का अनुमान है। इस बीमारी का असर बड़े पैमाने पर पड़ता है। प्रेस्बायोपिया उम्र बढ़ने के कारण होने वाली बीमारी है। उम्र बढ़ने पर आंख की फोकस करने की क्षमता कम हो जाती है, जिससे पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई होती है। यह बीमारी किसी व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकती है, जिससे रोजमर्रा के कामों को करने और अपनी लाइफस्टाइल को बनाए रखने की उनकी क्षमता प्रभावित हो सकती है।

 कई लोगों को पहली बार प्रेस्बायोपिया का पता तब चलता है जब वे पढ़ने वाली वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखने के लिए एक हाथ की लंबाई पर पकड़कर देखते हैं। एक साधारण सी आंख की जांच से इस बीमारी का पता लगाया जा सकता है। एनटॉड फार्मास्यूटिकल्स के सीईओ निखिल के मासुरकर ने प्रेसवू के बारे में बताते हुए कहा, “प्रेसवू सालों के रिसर्च और डेवलपमेंट की वजह से बन पाया है। इसे डी सी जी आई द्वारा मंजूरी मिलना भारत में नेत्र देखभाल को बदलने के हमारे मिशन में एक बड़ा कदम है। प्रेसवू सिर्फ़ एक उत्पाद नहीं है; यह एक ऐसा समाधान है जो लाखों लोगों को अच्छे से देखने में मदद करके उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए काम करता है।

 हम इनोवेशन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और सुलभ तथा किफ़ायती दोनों तरह के हेल्थकेयर सॉल्यूशन प्रदान करने पर गर्व करते हैं।” डॉ. धनंजय बाखले ने प्रेसवू की क्लीनिकल क्षमता पर टिप्पणी करते हुए कहा, "प्रेसवू को मंजूरी मिलना ऑप्थाल्मोलॉजी (नेत्र विज्ञान) के क्षेत्र में एक आशाजनक उपलब्धि है। प्रेसबायोपिया के मरीजों के लिए यह आई ड्रॉप एक नॉन-इनवेसिव विकल्प प्रदान करता है जो पढ़ने के लिए चश्मे की आवश्यकता को खत्म करता है। इस ड्रॉप के इस्तेमाल से निकट दृष्टि को बढ़ाया जा सकता है। क्लीनिकल ट्रायल्स में प्रदर्शित इसका तेज असर और सुरक्षा प्रोफ़ाइल इसे ट्रीटमेंट आर्सेनल में एक मूल्यवान उत्पाद बनाती है।”

डॉ. आदित्य सेठी ने मरीजों के लिए प्रेसवू के लाभों पर जोर देते हुए कहा, "प्रेसबायोपिया का इलाज लंबे समय से पढ़ने के चश्मे, कॉन्टैक्ट लेंस और सर्जिकल उपायों के साथ किया जाता रहा है, लेकिन प्रेसव्यू से अब इसका इलाज प्रभावी तरीके से किया जा सकता है। यह आई ड्रॉप 15 मिनट के अंदर निकट दृष्टि को बढ़ाता है। यह नया इलाज़ कई लोगों के जीवन की गुणवत्ता में काफी सुधार कर सकता है, जिससे वे रोज़मर्रा के कामों को आसानी से कर सकेंगे। अगर धुंधली नज़दीकी नज़र पढ़ने, नज़दीकी काम करने या अन्य गतिविधियों में बाधा डालती है, तो लक्षणों की निगरानी करना और डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है। अचानक धुंधली दृष्टि, रोशनी की चमक या दोहरी दृष्टि के लिए तत्काल चिकित्सा ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।”

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