लेखक केविन मिसेल ने अपनी न‌ई किताब 'कर्ण 2: द सन ऑफ़ सूर्या' को किया लॉन्च

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - पौराणिक गाथाओं में काल्पनिकता का पुट मिलाकर सशक्त तरीके से कहानियों को पेश करने के लिए जाने जाने वाले लेखक केविन मिसेल ने अपने उपन्यास 'कर्ण 2: द सन ऑफ़ सूर्या' का अनावरण किया. इस किताब को सिमोन ऐंड सुस्टर द्वारा प्रकाशित किया गया है जिसके विमोचन का कार्यक्रम दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनैशनल सेंटर में किया गया. इस ख़ास मौके पर कई दिग्गज हस्तियों के अलावा बड़ी तादाद में फ़ैन्स और लेखक बनने के इच्छुक लोग भी मौजूद थे. लेखक विनीत बाजपेयी विशेष अतिथि के रूप में मौजूद थे.
'कर्ण 2: सन ऑफ़ सूर्या' कर्ण की शाश्वत उलझनों की गहराई से पड़ताल करती है जिसके तहत उनकी पहचान, नैतिकता और महाभारत में पौराणिक रूप से इंगित की गई नियति को रेखांकित किया गया है. केविन मिसेल के कहानी बयां करने का अंदाज़ कुछ ऐसा है कि जिसमें युद्ध का मैदान, किरदार की चारित्रिक विशेषताओं और राजनीतिक रूप से अहम पड़ावों को समानांतर तरीके से प्रस्तुत किया गया है
साहित्यिक लेखन व जीवंत गद्य के माध्यम से केविन मिसेल पौराणिक गाथाओं को सिनेमाई तत्वों के साथ ऐसी मानवीय भावनाओं में लपेटकर पेश करने में माहिर हैं जो सीधे लोगों के दिलों को छूती है. केविन मिसेल इस किताब के बारे में कहते हैं, "मेरी यह किताब युद्ध की भव्यता नहीं, बल्कि कर्ण के भीतर चलने वाले आंतरिक संघर्षों पर आधारित है. अगर उनके किरदार से आप जुड़ाव महसूस नहीं कर पाएं तो बढ़िया कहानी होने के बावजूद वह कहानी अपनी शक्ति खो देगी."
केविन मिसेल ने 'धर्मयोद्धा कल्कि : अवतार ऑफ़ विष्णु' के ज़रिए बतौर लेखक अपना डेब्यू किया था. तब से ही वे पौराणिक गाथाओं को इतिहास और काल्पनिकता के साथ पेश करते रहे हैं जिसके माध्यम से साहित्यिक जगत में उन्होंने अपनी एक अलग पहचान बना ली है. उन्होंने अब तक एक से बढ़कर एक 16 किताबें लिखीं हैं. पौराणिक गाथाओं के प्रति अपने नज़रिए को लेकर बात करते हुए केविन मिसेल कहते हैं, "कर्ण जैसे व्यक्तित्व पर लिखना अतीत को जीवंत करने से कम नहीं है. इन कालातीत कहानियों को आधुनिक युग के पाठकों के समक्ष पेश करना बेहद ज़रूरी है ताकि वे अपने अतीत से अच्छी तरह से परिचित हो सकें."

टैलेंट्रेक के संस्थापक और 'हड़प्पा : द कर्स ऑफ़ द ब्लड रिवर' और 'काशी: सीक्रेट ऑफ़ द ब्लैक टेम्पल' के लेखक विनीत बाजपेयी ने बतौर मुख्य अतिथि पौराणिक किस्म की काल्पनिक कहानियों में केविन मिसेल के योगदान की ख़ूब प्रशंसा की. उन्होंने केविन मिसेल के उपन्यासों के सांस्कृतिक व साहित्यिक महत्व के संदर्भ में कहा, "केविन महज़ प्राचीन कहानियों को दोबारा से नहीं कहते बल्कि वे उन कहानियों को फिर से जीवंत कर देते हैं जिससे पाठक उन कहानियों को एक नये नज़रिए से देखने के लिए बाध्य हो जाते हैं."

केविन मिसेल की 'कर्ण 2: द 'सन ऑफ़ सूर्या' कर्ण के जज़्बे, जुनून और उनके साहस के साथ उनके कालातीत संघर्ष को रेखांकित करने वाला समृद्ध उपन्यास है. पौराणिक किस्म की काल्पनिक कहानियों में रूचि रखने वाले फ़ैन्स और महाभारत को पसंद करने वाले भक्तों के लिए 'कर्ण 2 : द सन ऑफ़ सूर्या' एक बेहद ज़रूरी किस्म की किताब है. ये किताब उन्हें एक उम्दा लेखक के तौर पर स्थापित करती है. केविन मिसेल इस बारे में कहते हैं, "इस किताब में कर्ण की यात्रा को बड़ी ही गहराई के साथ पेश किया गया है जिसमें कर्ण को एक हीरो के साथ साथ एक सामान्य पुरुष के रूप में भी पेश किया गया है."

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