स्तन कैंसर से बचाव में AI आधारित तकनीक कारगर

० योगेश भट्ट ० 
नयी दिल्ली - हर साल स्तन कैंसर से बड़ी संख्या में महिलाएं प्रभावित होती हैं, और समय पर पहचान न हो पाने की वजह से कई परिवार अपने प्रियजनों को खो देते हैं। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के हालिया आंकड़ों के अनुसार, स्तन कैंसर महिलाओं में होने वाले कुल कैंसर के 28.2 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। इसी गंभीर समस्या को देखते हुए मैश सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स की ओर से हाल ही में एक महीने का स्तन कैंसर जागरूकता अभियान चलाया गया। इसका उद्देश्य महिलाओं को जागरुक कर प्रारंभिक चरण में ही स्तन कैंसर के खतरे से बचाना था। इसके लिए एडवांस AI आधारित थर्मल स्क्रीनिंग तकनीक़ का इस्तेमाल किया गया।

अभियान में साउथ दिल्ली और नोएडा स्थित मैश हॉस्पिटल्स में 172 महिलाओं की नि:शुल्क स्क्रीनिंग की गई। इससे 50 महिलाओं में गांठ और तीन महिलाओं को प्रारंभिक चरण का स्तन कैंसर था। समय पर जाँच उनकी जान बचाने में अहम साबित हुआ। नई तकनीक से स्तन कैंसर का इलाज अब बहुत असरदार हो गया है। मैश मानस हॉस्पिटल की डॉ. सोनाली त्यागी, सीनियर कंसल्टेंट - गायनेकोलॉजी ने बताया कि एआई बेस्ड थर्मोग्राफी पारंपरिक मैमोग्राम की तुलना में नॉन-इनवेसिव, बिना विकिरण और बिल्कुल दर्द रहित होती हैं। ये तकनीक किसी भी उम्र की महिलाओं के लिए उपयुक्त हैं, खासकर उन महिलाओं के लिए जो पारंपरिक मेमोग्राम कराने में घबराती हैं।

अक्सर महिलाएं समाज में मौजूद स्तन स्वास्थ्य से जुड़ी सामाजिक शर्म के कारण जांच कराने में हिचकिचा रही थीं। जागरूकता अभियान और काउंसलिंग के बाद उन्होंने अपनी झिझक को पीछे छोड़कर स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी। मैश सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल्स की संस्थापक और सीईओ मानसी बंसल झुनझुनवाला ने कहा, ‘हम इन महिलाओं की हिम्मत से प्रेरित हुए हैं, जिन्होंने जांच के लिए आगे आकर अपनी और अपने परिवार के स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी। समय पर जांच और सही इलाज से इस बीमारी को रोका जा सकता है।

मैश हॉस्पिटल के हेड ऑफ मिनिमल एक्सेस एंड सर्जिकल ऑन्कोलॉजी डॉ. सचिन अंबेकर ने बताया कि जिन तीन महिलाओं में कैंसर का पता चला, उन्हें मेटोस्टैसिस नहीं था, उनकी सफल सर्जरी की गई। उन्होंने कहा, ‘सर्जरी गाँठों के आकार पर निर्भर होती है। इसलिए जल्दी पहचान से सर्जिकल परिणाम बेहतर होते हैं। उन्होंने बताया कि स्तन कैंसर का प्रसार काफी तेजी से हो रहा है, समय-समय पर जांच और जागरुकता से इस पर नियंत्रण संभव है।

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