एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स ने स्ट्रोक के प्रति जागरूकता के लिए क्रिकेट खिलाड़ी एमएस धोनी के साथ किया गठजोड़

० संवाददाता द्वारा ० 
मुंबई – एमक्योर फार्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने क्रिकेट के मशहूर खिलाड़ी, एमएस धोनी के साथ मिलकर स्ट्रोक की रोकथाम पर जन जागरूकता अभियान शुरू करने की घोषणा की । इस पहल के तहत, एमक्योर और धोनी ने हर किसी से स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूक होने तथा स्ट्रोक की पहचान के लिए कम से कम एक व्यक्ति को शिक्षित करने और इसके बारे में जागरूकता फैलाने का आग्रह किया ।
भारत में किए गए महामारी विज्ञान (एपिडेमियोलॉजी) से जुड़े अध्ययनों के अनुसार, हर साल 18 लाख से अधिक लोग स्ट्रोक से पीड़ित होते हैं और यह मृत्यु तथा विकलांगता का एक प्रमुख कारण बन जाता है। 

इसलिए एमक्योर ने ब्रेन स्ट्रोक, इसके लक्षण तथा जान बचाने और अनगिनत लोगों को बेहतर परिणाम प्रदान करने के लिए समय पर हस्तक्षेप के महत्व को समझने के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद करने का बीड़ा उठाया है। मैदान पर अपनी तेज तर्रार समझ के लिए जाने जाने वाले, कई विश्व कप विजेता पूर्व कप्तान, एमएस धोनी अब स्ट्रोक के महत्वपूर्ण संकेतों और इन लक्षणों के प्रकट होने पर त्वरित, निर्णायक पहल की आवश्यकता के बारे में देश को जागरूक करने में मदद करेंगे।

यह अभियान "बीफास्ट" (BEFAST) (1) दृष्टिकोण पर केंद्रित है, जो एक सरल, याद रखने लायक संक्षिप्त नाम और स्ट्रोक के प्रमुख लक्षणों को रेखांकित करता है, जिससे लोगों के लिए इसे पहचानना और तुरंत पहल करना आसान हो जाता है। • बी का मतलब है संतुलन (बैलेंस) खोना, • ई का मतलब है अचानक दृष्टि (आईसाइट) में बदलाव, • एफ का मतलब है चेहरा (फेस) लटक जाना, • ए का मतलब है हाथ (आर्म) की कमजोरी, • एस का मतलब है बोलने (स्पीच) में कठिनाई, और • टी का मतलब है बिना देरी के आपातकालीन चिकित्सा सेवा के लिए कॉल करने का समय (टाइम)

धोनी इस बात पर जोर देते हैं कि जिस तरह क्रिकेट मैच में हर सेकंड मायने रखता है, उसी तरह इन संकेतों को पहचानना और आपातकालीन चिकित्सा सहायता के लिए कॉल कर तुरंत चिकित्सा शुरू करने से रिकवरी और इसके स्थायी प्रभाव से जुड़े परिणाम में काफी फर्क आ सकता है। पुणे के कंसल्टिंग न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ. एन. इचापोरिया ने इस पहल के बारे में कहा, " स्ट्रोक के इलाज में देरी से प्रति मिनट मस्तिष्क को 19 लाख कोशिकाओं का नुकसान होता है।

 अच्छे स्ट्रोक केंद्र में तत्काल देखभाल से परिणामों में काफी सुधार हो सकता है। भारत में स्ट्रोक की बढ़ती घटनाओं के साथ, लोगों को जल्दी इसकी पहचान और हस्तक्षेप के महत्व के बारे में जागरूक करने के लिए त्वरित उपाय आवश्यक हैं। हम बीफास्ट पद्धति के ज़रिये तुरंत पहल के महत्व पर ज़ोर देते हैं।

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