संविधान और भाईचारे के लिए एकजुट होकर लोग तानाशाही का मुकाबला करें : बानी मंजरी दास

० आशा पटेल ० 
पटना । बिहार की राजधानी पटना में बीते दिवस समता सम्पर्क अभियान के तत्वावधान में बिहार दलित विकास समिति के सभा कक्ष में गांधी लोहिया जयप्रकाश नारायण और किशन पटनायक की वैचारिक परंपरा से जुड़े हुए समर्पित लोगों का वर्तमान चुनौतियों पर समता कार्यकर्ता सम्मेलन संपन्न हुआ। सम्मेलन का उद्घाटन नारी चेतना मंच की राष्ट्रीय अध्यक्ष बानी मंजरी दास पटनायक ने करते हुए कहा कि वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए जन जागरण बेहद जरूरी है। लोगों को पता होना चाहिए कि कथित विकास के नाम पर पूरे देश में लूट और ठगी हो रही है। 
संविधान और भाईचारे के लिए एकजुट होकर लोग तानाशाही का मुकाबला करें। इसे लेकर जनता को लामबंद होना होगा। विभिन्न बुनियादी समस्याओं का ठोस हल निकाला जाना चाहिए। वर्तमान समय में देश को तानाशाही और सांप्रदायिकता से बड़ा खतरा है। बानी मंजरी दास ने कहा कि साम्प्रदायिकता के चलते देश का दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन हुआ। आज एक बार फिर तानाशाही से जनता की आवाज दबाई जा रही है। अघोषित आपातकाल का परिदृश्य सामने है। देश की आजादी के 77 साल बाद भी बड़ी संख्या में लोग बुनियादी समस्याओं के अभाव में भटक रहे हैं। सामाजिक और आर्थिक विषमता की स्थिति बेहद खराब है। मानव अधिकारों का जबरदस्त हनन हो रहा है। बिहार जैसी समस्याएं पूरे देश में है। इसके लिए देशव्यापी आंदोलन की जरूरत है।

कार्यक्रम का संचालन समता संपर्क अभियान के राष्ट्रीय संयोजक लोकतंत्र सेनानी अजय खरे रीवा ने किया। सम्मेलन में भारतीय संविधान की प्रस्तावना का पाठ दोहराया गया। इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि लोकनायक जयप्रकाश नारायण के द्वारा चलाए गए संपूर्ण क्रांति आंदोलन के काम को आगे बढ़ाने की जरूरत है। 1977 में सत्ता परिवर्तन हुआ लेकिन 1979 में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के निधन के बाद व्यवस्था बदलाव की लड़ाई अधूरी रह गई। देश में तानाशाही ताकतों का खतरा बरकरार है। भाजपा शासित राज्यों की डबल इंजन सरकार के नाम पर मनमानी जारी है। चुनाव प्रणाली में सुधार नहीं होने से तरह-तरह की गड़बड़ियां बनी हुई है। 

महंगाई भ्रष्टाचार का बोलबाला है। देश के नौजवानों को काम मिले इस दिशा में विशेष प्रयास किए जाने की जरूरत है। देश के किसानों की स्थिति बेहद चिंताजनक है। कर्ज की बोझ से दबे किसानों की खेती घाटे का धंधा बनी हुई है। किसानों की आत्महत्याओं का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा। खेती की जमीन पर बड़े पूंजीपतियों की गिद्ध दृष्टि है। सरकार पूंजीपतियों के साथ खड़ी हुई है। सामाजिक विषमता मिटाने के लिए जाति तोड़ो आंदोलन की बात होना चाहिए। बेटियों की पढ़ाई और सुरक्षा का सवाल काफ़ी अहम है। लंबे समय तक सरकारी बुलडोजर आतंक को जबरदस्ती महिमामंडित किया गया।

 इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का फैसला काफी देर से आया। निजीकरण को बढ़ावा दिए जाने से देश को पूंजीपतियों के हाथ में सौंपने की तैयारी चल रही है। धर्म नितांत निजी आस्था का विषय है लेकिन सरकार में बैठे लोगों के द्वारा उसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार धर्मांधता बढ़ाने में लगी हुई है। एक जैसी शिक्षा और सुविधा देने की जगह शैक्षणिक जगत में जबरदस्त भेदभाव देखने को मिल रहा है। आयुष्मान कार्ड के नाम पर आम आदमी को स्वास्थ्य लाभ मिलने की जगह लूटा जा रहा है। शिक्षा चिकित्सा और सुरक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है। 

देश के बेरोजगारों के लिए सरकार के पास कोई ठोस नीति नहीं है। इसके चलते आरक्षण नीति को भी विवादास्पद बनाने का दुष्चक्र चल रहा है। निजीकरण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा दिए जाने से सरकारी नौकरियों और आरक्षण का दायरा काफी सीमित कर दिया गया है। यह एक बड़ी साजिश है। चुनाव प्रणाली में सुधार करने की जगह उसे बेहद खर्चीला बना दिया गया है। चुनाव में जाति धर्म धनबल बाहुबल का बोलबाला है। ईवीएम को लेकर उठाए जा रहे सवाल काफी गंभीर हैं लेकिन उसे अनदेखा किया जा रहा है। चुनाव के समय सरकारी खजाने से गरीबों को दिए जाने वाले अनाज और लाडली बहनों को प्रतिमाह ₹1000 से अधिक की धनराशि को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया कि सरकार लोगों को जीवन यापन के लिए काम देने के बजाय उन्हें निकम्मा बनाने में लगी हुई है। मरे ना मुटाय वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

समता कार्यकर्ता सम्मेलन में प्रमुख रूप से पूर्व विधायक जेपी सेनानी सूर्य देव त्यागी मनेर पटना, जेपी सेनानी कालिका सिंह कैमूर जानकी भगत रोहतास डॉ जेपी सिंह बलिया संजय सिन्हा एडवोकेट पटना, जेपी आंदोलनकारी सत्यनारायण मदन कंचन वाला पटना ,श्यामल किशोर भागलपुर , मो. शाहिद कमाल मुजफ्फरपुर , फादर जोस पटना , रमाशंकर भारती अजय कुमार वैशाली, शिवजी सिंह , जयशंकर सिंह , हीरालाल सिंह रोहतास सच्चिदानंद मंडल , जयप्रकाश गौतम मुंगेर डॉ संजय रघुवर औरंगाबाद, अमरेंद्र श्रीवास्तव डा अमानुल हक आलमगीर बेतिया, जय लाल सिंह कुशवाहा कटिहार, रामचंद्र प्रसाद नालंदा गौतम कुमार गुप्ता खगड़िया , राजेश दुबे भोजपुर, 

शोभा देवी लक्खीसराय , राम रतन भारती पटना संजय प्रधान मुजफ्फरपुर अनोखेलाल मऊ , राम नगीना सिंह , रामबचन राम कैमूर , जगत भूषण गया, कारू भाई बोधगया , मकबूल अहमद मुज़फ़्फ़रपुर, आफताब अंजुम, तौसीफ रजा सीतामढ़ी, शिवकुमार चौहान औरंगाबाद, उत्तर प्रदेश से विजय श्रीवास्तव लखनऊ आदित्य विक्रम सिंह हरदोई ,शत्रुघ्न तिवारी सिराज अहमद दुर्गा विश्वकर्मा अंबेडकर नगर रीवा मध्य प्रदेश से श्रवण प्रसाद नामदेव रमाशंकर शुक्ला शेष मणि शुक्ला अशोक सोनी के अलावा सतीश कुमार चंदन , अचिंत्या कुमार राज , पंकज कुमार, सोभनाथ कुमार , अश्विनी कुमार पटना आदि की उपस्थिति दर्ज की गई।

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