2030 तक राजस्थान की अर्थव्यवस्था 400 बिलियन डॉलर से अधिक की होगी : पीएचडीसीसीआई

० आशा पटेल ० 
जयपुर। पीएचडी रिसर्च ब्यूरो, पीएचडीसीसीआई के ताजा विश्लेषण के अनुसार, निरंतर बुनियादी ढांचे में सुधार, विविध औद्योगिक आधार, उन्नत खाद्य प्रसंस्करण, अत्याधुनिक पर्यटन बुनियादी ढांचा और मानव संसाधन (इंडस्ट्री बेस्ड श्रमबल) पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करके राजस्थान वर्ष 2028-29 तक 351 बिलियन अमेरिकी डॉलर और 2030 तक 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की अर्थव्यवस्था बन सकता है। भारत के सबसे बड़े और सबसे विविध राज्यों में से एक, राजस्थान एक उल्लेखनीय आर्थिक परिवर्तन से गुजर रहा है। विश्लेषण रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की आर्थिक वृद्धि में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में, राजस्थान ने कई क्षेत्रों में प्रभावशाली प्रगति की है, जिससे वह भारत की आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए अब पूरी तरह से तैयार है।
2020-21 और 2023-24 के बीच, राजस्थान के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो इन तीन वर्षों में 10.17 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 15.28 लाख करोड़ रुपए हो गई है। उद्योग निकाय पीएचडीसीसीआई ने कहा कि यह वृद्धि, खासकर कोविड के बाद, सतत आर्थिक विकास के लिए राजस्थान के लचीलेपन और प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।विनिर्माण, प्रौद्योगिकी और सेवाओं पर जोर देने के साथ, यहां का औद्योगिक क्षेत्र अब सकल राज्य मूल्य वर्धित (जीएसवीए) का 28 प्रतिशत योगदान करते हुए इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। आईटी, वित्तीय सेवा और पर्यटन जैसे क्षेत्रों द्वारा संचालित सर्विस सेक्टर का इसमें सबसे अधिक योगदान है। जबकि कृषि राजस्थान की अर्थव्यवस्था की आधारशिला बनी हुई है।

राज्य की शुष्क जलवायु की चुनौतियों के बावजूद, राजस्थान ने अपना खाद्यान्न उत्पादन सफलतापूर्वक 35 प्रतिशत बढ़ाया है। राज्य का खाद्य उत्पादन 2012-13 में 17 मिलियन टन था, जबकि 2022-23 में 23 मिलियन टन हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, अपनी कृषि-जलवायु विविधता के साथ, राजस्थान अब अनाज, तिलहन, मसालों और फलों के मामलों में भारत के अग्रणी उत्पादकों में से एक है। उद्योग निकाय पीएचडीसीसीआई ने कहा, राजस्थान ने अपने कारोबारी माहौल में महत्वपूर्ण सुधार किया है। इसकी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में वृद्धि हुई है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अक्टूबर 2019 से मार्च 2024 तक 2,344 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया।

पीएचडीसीसीआई ने कहा कि राजस्थान निवेश प्रोत्साहन योजना (आरआईपीएस) जैसी नीतियों के साथ, राज्य ने औद्योगिक विकास को प्रभावी ढंग से बढ़ावा दिया है, खासकर 26 लाख सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए जो राजस्थान के आर्थिक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
परिवहन, नवीकरणीय ऊर्जा, शहरी विकास और औद्योगिक केंद्रों में निवेश के साथ, रणनीतिक बुनियादी ढांचा विकास राजस्थान की अर्थव्यवस्था की कुंजी रहा है। विशेष रूप से, राजस्थान सौर ऊर्जा के क्षेत्र में अग्रणी बनकर उभरा है, जिसमें कई सोलर पार्क, नेशनल एनर्जी ग्रिड में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
राजस्थान का निर्यात क्षेत्र भी उतना ही प्रभावशाली रहा है, जो 2023-24 में 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया है। राज्य इंजीनियरिंग सामान, रत्न, आभूषण, कपड़ा और हस्तशिल्प के निर्यात का केंद्र बन गया है।

व्यापार मेलों और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं जैसी पहल के जरिये, राजस्थान वैश्विक बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में लगा हुआ है।राजस्थान का परिवर्तन सतत विकास और औद्योगिक विविधीकरण के उद्देश्य से की गई प्रमुख पहलों से प्रेरित है। पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) से पानी की कमी दूर होगी और 2.82 लाख हेक्टेयर में कृषि पैदावार बढ़ेगी। उन्नत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (ईआरसीपी) के तहत प्रधानमंत्री द्वारा हाल ही में की गई 1 लाख करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा से यहां का बुनियादी ढांचा तंत्र मजबूत होगा, अंतर-राज्य जल बंटवारे में सुधार होगा और राजस्थान और आसपास के राज्यों में कनेक्टिविटी बढ़ेगी।

 इससे राजस्थान की सतत प्रगति और बेहतर संसाधन उपयोग सुनिश्चित होंगे, जिससे आर्थिक विकास, कृषि विकास और रोजगार सृजन को बल मिलेगा। दिल्ली-वडोदरा एक्सप्रेसवे कनेक्टिविटी में सुधार, क्षेत्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने के लिए पूरी तरह तैयार है। उद्योग निकाय पीएचडीसीसीआई ने कहा, राजस्थान पेट्रोकेमिकल जोन पेट्रोकेमिकल और प्लास्टिक उद्योगों में राज्य की स्थिति को मजबूत करेगा, औद्योगिक विकास और रोजगार को बढ़ावा देगा। साथ ही, एमएसएमई, निर्यात प्रोत्साहन, खाद्य प्रसंस्करण और पर्यटन नीतियों जैसी सक्रिय नीतियां औद्योगिक प्रतिस्पर्धा, रोजगार सृजन और आर्थिक विकास को बढ़ा रही हैं, जिससे राजस्थान अधिक गतिशील और लचीला आर्थिक केंद्र बन गया है।

राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट में, राज्य सरकार ने अनिवासी राजस्थानी (एनआरआर) समुदाय से निवेश आकर्षित करने की पहल की। सरकार की पहल का सकारात्मक असर दिखाई पड़ा। समिट में 35 लाख करोड़ रुपए के एमओयू साइन हुए। इससे औद्योगिक विकास और क्षेत्रीय आर्थिक गतिविधि को काफी बढ़ावा मिलेगा। पीएचडीसीसीआई ने राज्य के विकास को बढ़ाने के लिए युवा कार्यबल को बेहतर सुविधा देना, 

खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से वैल्यू-एडेड कृषि एवं बागवानी को बढ़ावा देना, एमएसएमई, पर्यटन, आधारभूत ढांचा, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा, सोलर विशेषकर सौर घटक विनिर्माण पर जोर देना जैसे रणनीतिक क्षेत्रों पर फोकस करने का सुझाव दिया है। निरंतर सुधारों, नीतिगत पहलों और निवेश के साथ, राजस्थान भारत में एक अग्रणी आर्थिक ताकत बन सकता है, जो 2047 तक विकसित भारत के व्यापक दृष्टिकोण में अहम योगदान देगा।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

गणतंत्र दिवस परेड में दिखेगी उत्तराखंड के साहसिक खेलों की झलक

उर्दू अकादमी दिल्ली के उर्दू साक्षरता केंद्रों की बहाली के लिए आभार

पिंक सिटी प्रेस क्लब में हुआ सद्भावना और भाईचारा सम्मेलन

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"