दिल्ली एनसीआर में 63 फीसदी कार मालिक अपने पीयूसी सर्टिफिकेट स्टेटस के बारे में अनजान

० नूरुद्दीन अंसारी ० 
नई दिल्ली, भारत के एकमात्र डिजिटल फर्स्ट डेटा उन्मुख सर्वे प्लेटफॉर्म पार्क प्लस रीसर्च लैब्स ने दिल्ली-एनसीआर में अपने सर्वे के परिणामों की घोषणा की है, जहां कार मालिकों से उनके पीयूसी (पॉल्युशन अंडर कंट्रोल) सर्टिफिकेट के स्टेटस के बारे में सवाल पूछे गए थे। सर्वेक्षण में दिल्ली-एनसीआर के 5200 कार मालिकों ने हिस्सा लिया। दिल्ली एनसीआर में वाहनों में 15 फीसदी से अधिक सालाना दर से बढ़ोतरी हुई है, इनमें से ज़्यादातर दोपहिया वाहन और कारें हैं। 63 फीसदी उत्तरदाता अपनी कार के पीयूसी सर्टिफिकेट के बारे में जागरुक नहीं हैं 11 फीसदी कार मालिक नहीं जानते कि पीयूसी सर्टिफिकेट क्या होता है और इसे कहां से रीन्यू कराना चाहिए।  27 फीसदी कार मालिकों से जब पूछा गया कि ‘क्या आप जानते हैं कि नॉन-सर्टिफाईड पीयूसी कार से ज़्यादा उत्सर्जन होता है और यह वायू प्रदूषण करती है’ तब उन्होनें जवाब दिया कि ‘उन्हें फर्क नहीं पड़ता।’

 दिल्ली के थिंक-टेंक- सेंटर फॉर साइंस एण्ड एनवायरनमेन्ट द्वारा जारी एक अध्ययन के मुताबिक दिल्ली में निजी और सार्वजनिक वाहन प्रदूषण में सबसे ज़्यादा योगदान देते हैं। अध्ययन के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में वाहन पीएम 2.5 उत्सर्जन में लगभग 40 फीसदी और नाइट्रोजन ऑक्साईट के 81 फीसदी में योगदान देते हैं। मोटर वाहन अधिनियम के तहत भारत की सड़कों पर चलने वाले सभी वाहनों के लिए पीयूसी सर्टिफिकेट ज़रूरी है। यह सर्टिफिकेट बताता है कि वाहन प्रदूषण के मानकों के अनुरूप उत्सर्जन के नियमों का अनुपालन करता है। पीयूसी सर्टिफिकेट एक्सपायर हो जाने पर रु 1000 का जुर्माना देना पड़ता है। आप पार्क प्लस ऐप पर जाकर अपना पीयूसीसी स्टेटस चैक कर सकते है।।

परिणामों पर बात करते हुए अमित लाखोटिया, संस्थापक एवं सीईओ, पार्क प्लस ने कहा, ‘‘सामाजिक रूप से जागरुक ब्राण्ड होने के नाते, पार्क प्लस में हम शहरों को अधिक स्मार्ट, सुरक्षित और हरित बनाते हुए कार मालिकों के अनुभव को बेहतर बनाना चाहते हैं। इन्हीं प्रयासों के तहत हमने पीयूसी सर्टिफिकेट के बारे में दिल्ली-एनसीआर के कार मालिकों का नज़रिया समझने के लिए यह सर्वेक्षण किया, जो कार से होने वाले उत्सर्जन को नापने का महत्वपूर्ण तरीका है। पीयूसी सर्टिफिकेट को अपडेट कराकर कार मालिक सुनिश्चित करते हैं उनकी कार का रखरखाव ठीक से हो रहा है

 और यह उत्सर्जन क मानकों पर खरी उतरती है, पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाती है। दुर्भाग्य से दिल्ली एनसीआर में एक्यूआई का स्तर 450 के आंकड़े को पार कर चुका है, ऐसे में ज़रूरी है कि कार मालिक कार से होने वाले उत्सर्जन को अनुमोदित स्तर में रखकर प्रदूषण को नियन्त्रित रखने में योगदान दें। हमारे सर्वे में 5000 से अधिक कार मालिकों से बात की गई और चौंकाने वाली बात यह है कि ज़्यादातर लोग पीयूसी सर्टिफिकेट के बारे में अनजान हैं। पार्क प्लस में हम पीयूसीसी कैम्प चला रहे हैं, जहां कार मालिक पीयूसीसी जांच कराकर तुंरत यह सर्टिफिकेट पा कसते हैं। हमें विश्वास है कि हमारी इस पहल के लिए दिल्ली-एनसीआर के ज़िम्मेदार कार मालिकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिलेगी।’’

पार्क प्लस रीसर्च लैब्स के परिणाम प्रदूषण और उत्सर्जन के बारे में कार मालिकों की सोच को दर्शाते हैं। अब दिल्ली एनसीआर प्रदूषण को हल्के में नहीं लेता, हर बार सर्दियों में स्मॉग एनसीआर के 3 करोड़ वासियों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है, शट डाउन, मेडिकल एमरजेन्सी का कारण बन जाता है। ऐसे में पीयूसी सर्टिफिकेट को अपडेट कराना ज़िम्मेदार कार मालिकों का महत्वपूर्ण प्रयास साबित हो सकता है।

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