स्टडी इन इण्डिया कार्यक्रम से विदेशी विद्यार्थियों को संस्कृत की ओर आकर्षित किया जा सकता है
० योगेश भट्ट ०
नयी दिल्ली : संस्कृत को लोकल से वोकल बनाने और इस भाषा को वैश्विक आयाम देने के लिए सीएसयू का महत्त्वाकांक्षी प्रकल्प अन्तर्राष्ट्रीय वृत्त एवं सहयोग (इंटरनेशनल अफेयर्स एण्ड कोलैबोरेशन) की एक बैठक की गयी । अन्तर्राष्ट्रीय अफेयर्स एंड कोलेबोरेशन के द्वारा स्टडी इन इण्डिया कार्यक्रम के माध्यम से विदेशी विद्यार्थियों को संस्कृत तथा भारत प्रत्यय की ओर आकर्षित किया जा सकता है। इस बैठक में दिल्ली विश्वविद्यालय, मनीपाल विश्वविद्यालय, एनसीईआरटी, विश्व संयोजक- संस्कृत भारती के विशेषज्ञों के साथ साथ प्रो काशीनाथ न्यौपाने ,प्रो- चेयर ,भारतीय ज्ञान परम्परा ,प्रो मदन मोहन झा,डीन शैक्षणिक, प्रो. आर . जी. मुरली कृष्ण, कुलसचिव , प्रो मधुकेश्वर भट, निदेशक कार्यक्रम तथा योजनाएं ( केन्द्रीय)और सीएसयू के अनेक निदेशक तथा अधिकारीगण समुपस्थित रहें ।इस बैठक में सीएसयू के अन्तर्राष्ट्रीय अफेयर्स एण्ड कोलेबोरेशन प्रकल्प के द्वारा किये गये अन्तर्राष्ट्रीय प्रयासों की समीक्षा की गयी और कुलपति प्रो वरखेडी ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि यह समय की मांग है कि संस्कृत में जो अपार ज्ञान विज्ञान सन्निहित है उसे वैश्विक पटल पर लाने की आवश्यकता है जिसमें भारतीय ज्ञान परम्परा (आईकेएस ) के दर्शनों तथा उसके चिन्तनों पर नवाचारी प्रयोग और शोध करने की बहुत ही आवश्यकता है ।इसके उन्मेष तथा प्रचार प्रसार में यह अन्तर्राष्ट्रीय अफेयर्स प्रकल्प अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है । इसके लिए स्टडी इन इण्डिया कार्यक्रम के माध्यम से भी विदेशी विद्यार्थियों को भारत में आकर पठन ,पाठन तथा शोध करने के लिए अवसर को देकर संस्कृत तथा भारत प्रत्यय की ओर आकर्षित किया जा सकता है। इस दिशा में सीएसयू द्वारा आयोजित विविध सङ्गोष्ठियों के मूल्यांकन तथा उसके दूरगामी प्रभावों पर भी प्रकाश डाला गया, जिस चर्चा को भी विशेषज्ञों ने प्रशंसा की । इस बैठक में कुलपति प्रो वरखेडी के मार्गदर्शन में सीएसयू के एक शिष्ट मण्डल द्वारा आस्ट्रेलिया संस्कृत सम्मेलन में सहभागिता और उसकी सफलता की भी बातें हुईं। ध्यातव्य है कि इस विदेश यात्रा के काल खण्ड में स्वामीनारायण रिसर्च इंस्टीट्यूट के अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी भद्रेश दास जी ने जो सिडनी या मेलबर्न में इंटरनेशनल स्टडी सेंटर खोलने की भी बात कही है ,इस पर भी ध्यानाकर्षण किया गया ।
साथ ही साथ थाइलैण्ड तथा नेपाल में आयोजित होने वाली अन्तर्राष्ट्रीय सङ्गोष्ठियों की व्यापक सफल बनाने के उपक्रमों पर भी विशेषज्ञों के साथ मिल कर चर्चा की गयी । कुलपति प्रो वरखेडी ने बताया कि नेपाल में जो अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी होने वाली है उसमें भी सीएसयू भारतीय ज्ञान परम्परा को लेकर बढ चढ कर अनुसंधान पत्रों का वाचन करेगा। इसके अतिरिक्त सीएसयू के देवप्रयाग परिसर में योग पर एक समर प्रोग्राम एवं पुरी परिसर में हिन्दु अध्ययन पर अन्तर्राष्ट्रीय सङ्गोष्ठी के आयोजन की भी समीक्षा की गयी
और सीएसयू ने संस्कृत के नवोन्मेषी पठन पाठन के उन्नयन के लिए जो अनेक आकादमिक समझौते ( एम .ओ. यू.) किये हैं उनके क्रियान्वयन तथा सफलता के पक्षों को भी इस बैठक में रखा गया । इसके अतिरिक्त सीएसयू द्वारा पूर्व में किये गये आकादमिक समझौते के सार्थक क्रियान्वयन के साथ साथ इस उन तथ्यों पर भी विशेषज्ञों से सुझाव मांगे गये कि अध्यापकों, शोधच्छात्रों तथा छात्रों के लिए अन्तर्राष्ट्रीय शिक्षा संस्थानों में प्रवेश तथा अध्ययन अध्यापन का मार्ग सुगम बन सके।
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