सत्याग्रह स्थल पर उपवास पर बैठी मेधा पाटकर : कहा बुलडोजर न तो कानून है न कोर्ट

० आशा पटेल ० 
वाराणसी ।  सत्याग्रह के 89 वें दिन उपवास पर नर्मदा बचाओ आंदोलन एवं जन आंदोलनों का राष्ट्रीय समन्वय की नेत्री मैधा पाटकर उपवास पर बैठी । छत्तीसगढ़ के बालोद जिले से मौजूराम सोनबोईर, नंदकुमार साहू, युवराज कुमार साहू एवं उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज भी उपवास पर बैठे है। सत्याग्रह स्थल पर संबोधित करते हुए मेधा पाटकर ने कहा कि बुलडोजर न तो कानून है, न कोर्ट है और न संविधान है। सर्व सेवा संघ के राजघाट परिसर को वाराणसी एवं नॉर्दर्न रेलवे द्वारा षडयंत्र पूर्वक कब्जा कर अधिकांश भवनों को ध्वस्त करने के खिलाफ तथा गांधी, विनोबा एवं जयप्रकाश की विरासत के पुनर्निर्माण के लिए विगत 11 सि
तंबर से चल रहे 100 दिन के सत्याग्रह में सामाजिक आंदोलनो की प्रतिनिधि मेधा पाटकर भी शामिल हुई।
उन्होंने उपवास रखकर अहिंसा, न्याय और जनमुखी विकास के प्रति अपना संकल्प व्यक्त किया।
सत्याग्रह स्थल पर मेधा पाटकर ने कहा कि गांधी जी ने हमें सादगी से रहने का जीवन दर्शन दिया है। गांव में जल,जंगल, जमीन को बचाना है और उससे जो उपज मिले,अपनी आवश्यकताएं पूरी करना है। यही ग्राम स्वराज है लेकिन आज कंपनियों का राज हो गया है, संसाधनों को बेचने वालों का राज हो गया है। देश में रोजगार, गरीबी, भुखमरी,शोषण का संकट है। इन समस्याओं को गांधी जी के विचार से मिटाया जा सकता है। इस विचार को लोगों तक पहुंचाने का काम अत्यंत महत्वपूर्ण है।
इसी काम को करने के लिए वाराणसी के राजघाट में आचार्य विनोबा भावे और ईमानदारी के प्रतीक लाल बहादुर शास्त्री के प्रयास व मंजूरी से सर्व सेवा संघ परिसर की स्थापना हुई। सर्व सेवा संघ ने नॉर्दर्न रेलवे की जमीन मुफ्त में नहीं ली बल्कि उसकी कीमत चुकाई और वैध तरीके से खरीदा। इसके प्रमाण मौजूद है। लेकिन संसाधनों को बेचने वाले लोग विनोबा भावे, लाल बहादुर शास्त्री, जयप्रकाश नारायण तथा बाबू जगजीवन राम द्वारा धोखाधड़ी कर रेलवे की जमीन हथियाने की बात कह रहे हैं। यह शर्मनाक है। हम ऐसा सुनकर हैरान हैं। ये क्या कह रहे हैं ? स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण के विभूतियों के बारे में कोई ऐसा कैसे कह सकता है? यह आश्चर्यजनक है।

मेधा पाटकर ने कहा कि बरसों से अगर कोई किसी जमीन पर रह रहा है तो वैकल्पिक व्यवस्था के बिना उसे उजाड़ा नहीं जा सकता, उसके घर पर बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता। बुलडोजर कानून नहीं है, न वह कोर्ट है और न ही यह संविधान है। जो लोग बुलडोजर पर नाज कर रहे हैं,समझ जाइए, वे कानून और संविधान खिलाफ है। इसलिए यह सत्याग्रह संविधान बचाने के लिए भी है। संविधान की हिफाजत करना हमारा कर्तव्य है क्योंकि संविधान भारत के नागरिकों का रक्षा कवच है। गरीब से गरीब आदमी को अधिकार संपन्न बनाता है,सशक्त करता है। इसलिए यह सत्याग्रह सिर्फ परिसर के पुनर्निर्माण के लिए नहीं बल्कि राष्ट्र के नवनिर्माण के लिए भी है। हम एक बड़े उद्देश्य के लिए प्रयासरत है। इसमें हर नागरिक का साथ और सहयोग होना चाहिए।

गांधी विरासत को बचाने के लिए प्रशासनिक दबाव के चलते सर्व सेवा संघ परिषद के सामने से स्थानांतरित होकर शास्त्री घाट में चल रहे सत्याग्रह का आज 89 वां दिन है। स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए लोकतांत्रिक भारत की विरासत और शासन की मार्गदर्शिका- संविधान को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर "न्याय के दीप जलाएं -100 दिनी सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा। 

 सत्याग्रह में उपवासकर्ता मेधा पाटकर,राम धीरज, मौजूराम सोनबोईर, युवराज कुमार साहू, नंद कुमार साहू के अलावा सर्व सेवा संघ के अध्यक्ष चंदन पाल, वरिष्ठ गांधीवादी विद्याधर ,लोक समिति के प्रमुख नंदलाल मास्टर, एडवोकेट हाशमी, तनुजा मिश्रा, प्रकाशन समिति के संयोजक अशोक भारत,चेखुर प्रसाद प्रजापति,समाज सेविका सिस्टर फ्लोरीन, संध्या सिंह, आरती गिरी ,मीनू सिंह ,मीरा मौर्या,महिला चेतना समिति की पूनम,तारकेश्वर सिंह, छत्तीसगढ़ ईश्वर प्रसाद देशमुख,पन्नालाल कैलाशी,देवीप्रसाद साहु,जगतूराम पटेल, श्रवण कुमार मौर्य, अरुण कुमार, जाहिद नूर आदि शामिल रहे।

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