दिल्ली में अष्टलक्ष्मी महोत्सव : पीएम मोदी करेंगे उद्घाटन
नई दिल्ली, राजधानी के भारत मंडपम में 06 दिसम्बर से पूर्वोत्तर राज्यों के तीन दिवसीय अष्टलक्ष्मी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। केंद्रीय संचार एवं पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक संवाददाता सम्मेलन में अष्टलक्ष्मी महोत्सव की जानकारी दी। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में पहली बार अष्टलक्ष्मी महोत्सव का आयोजन करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण है कि पूर्वोत्तर भारत के विकास का इंजन बने। लक्ष्मी के आठ अवतार- समृद्धि, ऐश्वर्य, पवित्रता, धन, ज्ञान, कर्तव्य, कृषि और पशुपालन- पूर्वोत्तर के सार का प्रतीक हैं।”इस कार्यक्रम में शिक्षा एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजूमदार, उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव चंचल कुमार और मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। "अष्टलक्ष्मी" की अवधारणा से प्रेरित यह उत्सव पूर्वोत्तर के आठ राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, और त्रिपुरा की समृद्धि और विविधता को उजागर करेगा। महोत्सव का उद्देश्य इन राज्यों की कला, शिल्प, वस्त्र, भौगोलिक संकेत (GI) उत्पादों और उद्यमशीलता प्रतिभा को प्रदर्शित करना है।
यह मंच कारीगरों, उद्यमियों, निवेशकों और अन्य भागीदारों के बीच गहरे संबंध स्थापित करने के साथ-साथ पूर्वोत्तर को रचनात्मकता और अवसरों के केंद्र के रूप में बढ़ावा देगा। महोत्सव में बायर-सेलर मीट के जरिए स्थानीय कारीगरों और उद्यमियों को व्यापक बाजार तक पहुंचाने का अवसर मिलेगा। यह कार्यक्रम उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसका प्रबंधन सीपीएसई उत्तर पूर्व हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास निगम लिमिटेड (एनईएचएचडीसी) के माध्यम से किया जा रहा है।
महोत्सव के शुभंकर ‘पूर्वी’ को उद्घाटन समारोह के दौरान पेश किया गया। पूर्वी पूर्वोत्तर भारत के सभी आठ राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक युवा लड़की है। इस शुभंकर को कार्यक्रम की अवधि के बाद भी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का प्रतीक बनाये रखने की परिकल्पना की गई है।
महोत्सव के शुभंकर ‘पूर्वी’ को उद्घाटन समारोह के दौरान पेश किया गया। पूर्वी पूर्वोत्तर भारत के सभी आठ राज्यों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक युवा लड़की है। इस शुभंकर को कार्यक्रम की अवधि के बाद भी उत्तर-पूर्वी क्षेत्र का प्रतीक बनाये रखने की परिकल्पना की गई है।
एनईएचएचडीसी के एमडी ब्रिगेडियर राजीव कुमार सिंह (सेवानिवृत्त) ने महोत्सव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अष्टलक्ष्मी महोत्सव का पहला संस्करण पूर्वोत्तर भारत की विशाल सांस्कृतिक विरासत को उजागर करने के लिए तैयार किया गया है, जिसमें पारंपरिक कलाओं, शिल्पों और सांस्कृतिक प्रथाओं को एक गतिशील प्रदर्शन में एक साथ लाया जाएगा।इस महोत्सव का लक्ष्य पारंपरिक हस्तशिल्प, हथकरघा, कृषि उत्पादों और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में परस्पर संपर्क और आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देना है, जिससे क्षेत्र की आर्थिक उन्नति और प्रगति को प्रोत्साहन मिले।
उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारत मंडपम में 06 से 08 दिसम्बर तक आठ राज्यों - असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड और सिक्किम के अलग अलग थीम पर पवेलियन बनाये जाएंगे। मुगा सिल्क और एरी सिल्क के दो पंडाल अलग से लगाए जाएंगे। हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों के लिए एक जीआई पवेलियन भी होगा। उन्होंने आगे कहा कि पूर्वोत्तर के राज्यों के संगीत की शाम भी होगी, जिसमें शिलांग के बैंड एवं कई संगीत समूह शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर एक डाक टिकट जारी किया जाएगा। पूर्वी एशिया के विभिन्न देशों के राजनयिकों को भी आमंत्रित किया जाएगा।
हर राज्य के उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्वोत्तर क्षेत्र को विकसित भारत के ग्रोथ इंजन के रूप में विकसित करने की इच्छा रखते हैं। यह आसियान देशों के लिए भारत का द्वार है। आने वाले समय में इस महोत्सव को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने की कोशिश की जाएगी।
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