सिंधी समाज अपनी संस्कृति,भाषा को बचाने के लिए अलग राज्य मांग रहा है
० नूरुद्दीन अंसारी ०
नई दिल्ली। अखंड भारत का सिंध राज्य के मूल निवासी भारत पाकिस्तान विभाजन के समय अपना मूल सिंध राज्य को छोड़कर मजबूरी में भारत के विभिन्न राज्य में जाकर बसने वाले सिंधी समाज को भारत में अपनी संस्कृति, भाषा, खान-पान वाला राज्य नहीं मिला। जबकि भारत पाकिस्तान विभाजन के समय अपना सब कुछ छोड़कर खाली हाथ आने वाला सिंधी समाज अपने ईमानदारी और मेहनत के बलबूते अब सबसे अधिक टेक्स देने वाला समाज बन गया है। अब सिंधी समाज का मानना है सरकार किसी की भी हो पर सभी ने सिंधी समाज की भावनाओं का अनदेखा किया जिस कारण आज सिंधी समाज की संस्कृति, भाषा, खान-पान लुप्त होने के कगार पर खड़ा है जबकि सिंधी समाज जो सिंधु नदी के किनारे बसा सिंध राज्य के मूल निवासी अपनी सभ्यता से दुनिया को सभ्यता सिखाया आज वही सिंधी समाज अपनी सभ्यता को बचाने के लिए फिर से एकजुट हो रहे हैं। राज ममतानी (संयोजक, दादा सतराम ममतानी मेमोरियल समिति जनकपुरी), विजय ईसरानी (अध्यक्ष, प्रगतिशील सिन्धी समाज समिति), महेश कुमार मलकानी (कोलकाता) अन्तरराष्ट्रीय संयोजक, भारत में सिन्ध राज्य की स्थापना, अशोक लालवानी (अध्यक्ष, सिंधी कौंसिल ऑफ़ इंडिया, उत्तर भारत), जगदीश नागरानी (अध्यक्ष, सिंधु समाज दिल्ली), नरेश बेलानी (महासचिव, सिंधु समाज दिल्ली) के सामंजस्य से अनेकों सिंधी मंदिरों, सिंधी पंचायतों, सिंधी समाजिक संस्थओं के प्रमुखों ने भारत में सिन्धी राज्य की स्थापना के लिए एक स्वर में एकजुट हुए हैं। इसकी जानकारी विजय इसरानी (अध्यक्ष प्रगतिशील सिंधी समाज), महेश कुमार मलकानी (कोलकाता) अन्तरराष्ट्रीय संयोजक, भारत में सिन्ध राज्य की स्थापना और पूर्व आईआईएस राजा राम (लखनऊ) परामर्शदाता ने पत्रकारों को दिया।
इस अवसर पर पूर्व आईआईएस राजा राम (लखनऊ) परामर्शदाता ने कहा हिंद मैं सिंध राज्य की भाषा के आधार पर सिंधी समाज का संवैधानिक अधिकार है। महेश कुमार मलकानी (कोलकाता) अन्तरराष्ट्रीय संयोजक, भारत में सिन्ध राज्य की स्थापना ने कहा आज सिंधी समाज की संस्कृति, भाषा, खान-पान लुप्त होने के कगार पर खड़ा है। इसके लुप्त होने का मूल कारण सिंधु समाज का अपना संस्कृति, भाषा, खान-पान वाला कोई राज्य नहीं है जिस कारण भावी पीढ़ी को अपने संस्कृति, भाषा, खान-पान का ज्ञान नहीं मिल पाता और वो जहां है वही की संस्कृति, भाषा, खान-पान वाला बन जाता है इसलिए सिंधु राज्य के लिए कानूनन सभी संवैधानिक तरिके अपनाकर सिंधु राज्य की स्थापना करके रहेंगे इसी का आज सभी ने मिलकर बिगुल बजाया है।
आज अगर सच को समझा जाए तो सिन्धी समाज ने ही अपना पूर्ण राज्य का त्याग कर खाली हाथ हिन्दुत्व की रक्छा के लिए असली सनातनी होने का परिचय दिया है । अब पूरा सिंधु समाज एक होकर उसके साथ खड़े हैं जो सिंधी समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सिंधु राज्य की स्थापना में हमारा साथ देंगे।
आगे नरेश बेलानी (महासचिव, सिंधु समाज दिल्ली) ने कहा सिंधु राज्य की स्थापना के लिए सिंधी समाज ने अब अपनी राजनितिक मतभेद को छोड़ने के लिए भी तैयार हो गये हैं। इसलिए अब सभी राजनितिक पार्टियां सिंधी समाज को आनी वाली सभी चुनाव में बराबरी का स्थान दें।
आज अगर सच को समझा जाए तो सिन्धी समाज ने ही अपना पूर्ण राज्य का त्याग कर खाली हाथ हिन्दुत्व की रक्छा के लिए असली सनातनी होने का परिचय दिया है । अब पूरा सिंधु समाज एक होकर उसके साथ खड़े हैं जो सिंधी समाज की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए सिंधु राज्य की स्थापना में हमारा साथ देंगे।
आगे नरेश बेलानी (महासचिव, सिंधु समाज दिल्ली) ने कहा सिंधु राज्य की स्थापना के लिए सिंधी समाज ने अब अपनी राजनितिक मतभेद को छोड़ने के लिए भी तैयार हो गये हैं। इसलिए अब सभी राजनितिक पार्टियां सिंधी समाज को आनी वाली सभी चुनाव में बराबरी का स्थान दें।
अन्यथा जो भी सिंधी समाज को महत्व देगा अब सभी सिंधी समाज एक सुर में उसके साथ खड़ा नजर आएगा। इस कार्यक्रम में भरत वाटवानी (वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रगतिशील सिन्धी समाज समिति), मिशन के मुख्य आयोजक, कुमार रामचंदानी (गांधीधाम), किशोर गृगलानी (अहमदाबाद), सुरेश कुमार गोवर्धन दास, ओम प्रकाश कुकरेजा (अध्यक्ष, मयूर विहार), गौतम थावानी (सचिव प्रगतिशील) इत्यादि उपस्थित थे।
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