दिल्ली के डॉ भीमसेन सिंह और असम की अनुपमा नाइडिंग सम्मानित

० योगेश भट्ट ० 
नई दिल्ली : बहुभाषी राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन दिल्ली के विश्व युवक केंद्र में सम्पन्न हुआ। बहुभाषी राष्ट्रीय कवि-सम्मेलन मे दिल्ली तथा अन्य प्रदेशों से विभिन्न भाषाओँ के 35 कवियों ने भाग लिया प्रज्ञा मेल का पुरस्कार अर्जुन चंद्र स्मृति पुरस्कार (साहित्य) असम की दिमासा-बांग्ला भाषा की कवित्रियी एवं वरिष्ठ लेखिका अनुपमा नाइडिंग को दिया गया, इसके अलावा दिल्ली के शिक्षाविद डॉ भीमसेन सिंह को उनके शिक्षा क्षेत्र में किये गए सेवा कार्य हेतु जीवन प्रयन्त अर्जुन चंद्र बर्मन स्मृति पुरस्कार से नवाज़ा गया।
प्रज्ञा मेल बहुभाषी राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में दिल्ली के हिंदी अकादमी से नेहा वैद्य,ओंकार त्रिपाठी तथा संस्कृत अकादमी से डॉ.सर्वेश एवं पंकज झा और मैथिली भोजपुरी अकादमी ने भी इस काव्य महोत्सव में पाठ किया। हिंदी के कवि गजेंदर सोलंकी ने राष्ट्र भक्ति और कवि दलेर देहलवी और शायर इमरान अहमद ने महोत्सव में शमां बांध दिया। राम चंद्र नाथ ने भी अपनी कविता से श्रोताओं का मन मोह लिया। असमिया की कवियत्री जाह्नवी काकति ने हिंदी कविता सुनाई। ऋषिराज पाठक, अनीता गांगुली ने भी कविता पाठ किया।
किरोन सिन्हा(धर्मनगर,त्रिपुरा ),डॉक्टर मृण्मय कुमार नाथ(गुवाहाटी), गोनेश कचारी, बॉबी रेखा गोगाई, श्रीमती स्नेह जोनाक दत्ता (सभी जोरहाट,आसाम से ) कवियों ने अपनी कविता में असम की संस्कृति की झलक दिखाई। संजीव सागर चौधुरी, मोनिका दास,नबजीत पटवारी और हिमांग्शु पाठक ने भी अपनी कविता पेश की । पत्रकार व पदमश्री रामबहादुर राय विशेष रूप से महोत्सव में पधारें। ऑल इंडिया रेडिओ के वीरेंदर कौशिक ने मंच संचालन किया। इस अवसर पर मुख्य संरक्षक सांसद कृपानाथ मल्लाह आयोजन समिति के संरक्षक हितेश व्यास, पत्रकार रत्नज्योति दत्ता,राष्ट्रीय प्रचारक सागर सरकार,मुख्य संयोजक देबोज्योति रॉय,जनसम्पर्क प्रमुख दीपक चौधरी के अलावा प्रज्ञा मेल के प्रधान संपादक अरुण कुमार बर्मन उपस्थित रहे।

 पुरस्कार सम्मान समारोह में कविताओं का संकलन "काव्य प्रवाह" और माधवी व्यास के दो पुस्तकों का विमोचन सांसद कृपानाथ की अध्यक्षता में, वरिष्ठ पत्रकार एवं इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष पद्म  रायबहादुर राय और कवि गजेन्द्र सोलंकी की उपस्थिति में हुआ । कवि लेखिका माधवी व्यास को "साहित्य रत्न"पुरस्कार और पंडित विजय लक्ष्मी शुक्ल को "कवि रत्न" से सम्मानित किया गया। 

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