ईपीसीएच के पश्मीना प्रमाणन केंद्र ने नई उन्नत सुविधाओं के साथ परीक्षण क्षमताओं को बढ़ाया

० आशा पटेल ० 
नई दिल्ली। हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद (ईपीसीएच) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई ) , देहरादून की संयुक्त पहल से उन्नत पश्मीना प्रमाणन केंद्र ने अपनी परीक्षण क्षमताओं को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया । भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून में स्थित केंद्र में उन्नत परीक्षण मशीनें स्थापित की गई हैं। यह अत्याधुनिक तकनीक परीक्षण प्रक्रियाओं की सटीकता और दक्षता में बदलाव लाने के लिए तैयार है, जो प्रामाणिक पश्मीना उत्पादों के लिए उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के भारत सरकार के मिशन को आगे बढ़ाएगी।
नई उन्नत सुविधा का उद्घाटन भूपेंद्र यादव, केंद्रीय मंत्री, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन और श्रम और रोजगार भारत सरकार द्वारा किया गया। इस अवसर पर कीर्ति वर्धन सिंह, केंद्रीय राज्य मंत्री, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार; जितेंद्र कुमार आईएफएस, महानिदेशक वन; सुशील कुमार अवस्थी, अतिरिक्त वन महानिदेशक; वीरेंद्र तिवारी, आईएफएस, निदेशक डब्ल्यूआईआई; डॉ. रुचि बडोला डीन, डब्ल्यूआईआई; राजेश रावत, अतिरिक्त कार्यकारी निदेशक, ईपीसीएच; डॉ. एस के गुप्ता (वैज्ञानिक एफ) और अन्य वरिष्ठ अधिकारी की उपस्थिति में हुआ ।

ईपीसीएच के चेयरमैन दिलीप बैद ने कहा कि पश्मीना प्रमाणन के लिए उन्नत केंद्र शुद्ध पश्मीना प्रामाणिकता सुनिश्चित करने और टिकाऊ व्यापार को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी छलांग है। स्थापित किए गए उन्नत उपकरण हमारी परीक्षण प्रक्रियाओं को मजबूत करेंगे, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि निर्यातक अंतरराष्ट्रीय बाजारों के कड़े मानकों को पूरा सके। यह हमारे लिए गर्व का क्षण है क्योंकि हम इस क्षेत्र के कारीगरों और निर्माताओं का समर्थन करने की दिशा में एक और कदम उठा रहे हैं।

ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक आर. के. वर्मा ने कहा कि यह अत्याधुनिक केंद्र पश्मीना उत्पादों के सटीक और प्रामाणिक प्रमाणीकरण को सुनिश्चित करने के लिए उन्नत तकनीक से लैस है। यह वैश्विक बाजारों में पश्मीना की विश्वसनीयता को बढ़ाएगा, गुणवत्ता मानकों को बनाए रखते हुए कारीगरों का समर्थन करेगा और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देगा। उन्होंने आगे कहा कि इस उन्नयन का व्यापक प्रभाव पश्मीना प्रमाणन केंद्र के लिए एक बड़ा बदलाव है। यह हमें निर्यातकों को सटीक और कुशल प्रमाणन सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम करेगा, जो वैश्विक स्तर पर खरीदारों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है। यह पहल पश्मीना उद्योग को आधुनिक उपकरणों और संसाधनों से लैस करने की हमारी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है जो नवाचार और विकास को बढ़ावा देते हैं।

ईपीसीएच देश से हस्तशिल्पों के निर्यात को बढ़ावा देने और देश के विभिन्न शिल्प समूहों में होम, लाइफस्टाइल, टेक्सटाइल, फर्नीचर, और फैशन जूलरी एवं एक्सेसरीज उत्पादों को बनाने में लगे लाखों कारीगरों और शिल्पकारों के प्रतिभाशाली हाथों के जादू की ब्रांड छवि बनाने की एक नोडल एजेंसी है। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री आर के वर्मा ने बताया कि साल 2023-24 के दौरान हस्तशिल्प निर्यात 32,759 करोड़ रुपये (3,956 मिलियन अमेरिकी डॉलर) का हुआ, जो पिछले वर्ष की तुलना में रुपये के संदर्भ में 9.13% और डॉलर के संदर्भ में 6.11% की वृद्धि को हुई ।

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