प्राकृतिक नील दिवस पर ‘नीलोद्भव’ में बच्चों को दिया नील प्रशिक्षण
० आशा पटेल ०
रातलिया, | गहन अंधकार के बाद जब भोर ने नीली चादर बिछाई, रातलिया की धरती पर इतिहास ने फिर से सजीव होकर सांस्कृतिक गौरव का आह्वान किया। प्राकृतिक नील दिवस पर आयोजित ‘नीलोद्भव’ का यह उत्सव न केवल एक पर्व था, बल्कि हमारी सांस्कृतिक जड़ों और पर्यावरण संरक्षण की भावना का अभिनंदन भी था । Craft Council of Weavers and Artisans (CCWA), Natural Indigo Research Institute, Collectivita, सार्थक मानव कुष्ठ आश्रम, शिल्पी हैंडीक्राफ्ट्स, और रातलिया पंचायत के संयुक्त प्रयासों से यह योजन संपन्न हुआ। देशभर से आए आगंतुकों ने नील की दिव्यता का साक्षात्कार करते हुए स्थायी भविष्य के लिए संकल्प लिया।बृज वल्लभ उदयवाल ने बताया कि नील दिवस के छठे संस्करण की कुछ खास विशेष उपलब्धियां भी रहीं |विकास शर्मा ने सांगानेर की जगन्नाथपुरा पंचायत को 'नील पंचायत' बनाने की अपील की। निर्मल सैन ने नील किसानों के लिए एकीकृत ऑनलाइन मंच के निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि यह अभिनव आयोजन न केवल नील के संरक्षण और पुनर्जीवन का संदेश लेकर आया, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक भी बना।
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