जस्टिस यादव के मामले में सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान लेना एक सही कदम : दिल्ली मुस्लिम मजलिसे मुशावरत
नई दिल्ली: जस्टिस यादव के विवादास्पद टिप्पणी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेने के कदम को दिल्ली मुस्लिम मजलिसे मुशावरत के अध्यक्ष डॉ. इदरीस कुरेशी ने कानून की सर्वोच्चता के लिए उठाया गया एक सही कदम बताया। उन्होंने कहा कि एक तो उनका एक ऐसी संगठन की बैठक में शामिल होना ही अनैतिक था, और उस पर मुसलमानों के बारे में इस तरह की टिप्पणी करना न केवल गैर-कानूनी था, बल्कि यह सेवा के सामान्य आचरण के खिलाफ भी था। डॉ. कुरेशी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस पर कड़ा कदम उठाना चाहिए, ताकि दूसरे लोग इस तरह की बातें करने से पहले सौ बार सोचें।
डॉ. इदरीस कुरेशी ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुसार, देश के सभी अल्पसंख्यकों को अपने धर्म के अनुसार आचरण करने की स्वतंत्रता दी गई है। लेकिन वर्तमान सरकार इस अधिकार की परवाह नहीं कर रही और वह कानून को दरकिनार कर निर्णय ले रही है, जो देश को नफरत की आग में धकेलने का काम कर रही है। जस्टिस शेखर यादव का यह कहना कि "देश बहुसंख्यक वर्ग के अनुसार चलेगा" कितना नफरत भरा बयान है। यह एक कानून के संरक्षक का कहना है, जो बेहद शर्मनाक है। वह खुद कानून का मजाक उड़ा रहे हैं और खुद को कानून से ऊपर समझ रहे हैं।
डॉ. कुरेशी ने कहा कि देश के सभी शांतिप्रिय और न्यायप्रिय लोगों को इसके खिलाफ खड़ा होना चाहिए, तभी देश को विनाश से बचाया जा सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐसे लोगों के खिलाफ एक ऐतिहासिक कदम होगा, जिसे इतिहास में याद रखा जाएगा।
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