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दिल्ली में शिक्षकों,लेखकों,समाजसेवियों को सम्मानित किया गया

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विमुक्ति बच्चियों को सीखा रही है आत्मनिर्भरता की उड़ान

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० आशा पटेल ०  जयपुर | जयपुर की विमुक्ति संस्था ने शहरी झुग्गी बस्तियों में रहने वाली लड़कियों के जीवन को बदलने का बीड़ा उठाया है। विमुक्ति संस्था के चेयरमैन शेलेंद्र अग्रवाल ने बताया कि शिक्षा का अभाव आज भी समाज के एक तबके में देखने को मिलता है, खासकर लड़कियों के लिए। विमुक्ति की स्थापना लवलीना सोगानी द्वारा की गई थी, जिन्होंने 6 लड़कियों के साथ इस की शुरुआत की। आज यह संस्था 800 से अधिक लड़कियों को शिक्षा के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक कौशल विकास की ट्रेनिंग दिलवा रही है। विमुक्ति की 'उड़ान' परियोजना के तहत लड़कियों को मार्शल आर्ट जैसे स्पोर्ट्स सीखने को मिल रहे है और लड़कियाँ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड और ब्रोंज मैडल लेकर आयीं है। लड़कियां थाई बॉक्सिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं। पिछले साल, इन लड़कियों ने सिल्वर और ब्रोंज मेडल जीते थे। इस वर्ष, खुशी परेवा, विधि शर्मा और सान्या ने नेशनल यूथ मुथाई टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल जीतकर इंटरनेशनल टूर्नामेंट के लिए चयनित हुई हैं। करियर कार्यक्रम का नेतृत्व ईशा स्वरूप कर रही हैं जो लड़कियों को आत्मनिर्भर

मंगलम प्लस मेडिसिटी हॉस्पिटल में आई 150 वॉट होलमियम लेजर मशीन

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० आशा पटेल ०  जयपुर। किडनी स्टोन और प्रोस्टेट से जुड़ी समस्याओं का इलाज अब वर्ल्ड क्लास तकनीक से होगा। इसके लिए मानसरोवर स्थित मंगलम प्लस मेडिसिटी हॉस्पिटल में प्रदेश की पहली अत्याधुनिक लेजर मशीन स्थापित हुई है जो किडनी के किसी भी कोने में बनी पथरी को बिना सर्जरी के निकाला जा सकता है।  हॉस्पिटल में आयोजित उद्घाटन समारोह और प्रेस कॉन्फ्रेंस में हॉस्पिटल के सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. नितिन नेगी ने इस तकनीक के बारे में विस्तार से बताया। आरजीएचएस की प्रोजेक्ट डायरेक्टर शिप्रा विक्रम ने इस मशीन का उद्घाटन किया।  इस मौके कर हॉस्पिटल के डायरेक्टर नेहा गुप्ता और अजय गुप्ता ने कहा कि नई तकनीक से सिर्फ राजस्थान ही नहीं बल्कि आस पास के राज्यों के लोगों को भी बहुत राहत मिलेगी। डॉ. नितिन नेगी ने जानकारी दी कि इस मशीन में 150 वॉट की होलियम लेजर तकनीक है। किडनी स्टोन के इलाज के लिए लचीला यूरेट्रोस्कोप का इस्तेमाल किया जाता है जो 270 डिग्री तक मुड़ सकता है। पेशाब मार्ग से लेकर ऊपर किडनी तक का रास्ता कई जगह से घुमावदार होता है। इस यूरेट्रोस्कोप से आसानी से पहुंच सकते हैं। इससे किडनी में किसी भी जगह पथरी हो