टेक्नोलॉजी किसानों के भविष्य को सुरक्षित करने में निभा सकती है महत्वपूर्ण भूमिका

० आशीष डोभाल ० 
भारत के किसानों ने लंबे समय से देश की खाद्य सुरक्षा के संरक्षक के रूप में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। लेकिन आज जब देश को उनके खेतों को सबसे अधिक उत्पादक बनाने की आवश्यकता है वोह कई तरह के संगर्ष और चुनौतियो से लड़ने मैं उलझे हैं और उत्पादकता की और बढ़ने में असफल रह जा रहे हैं।
भारत की आबादी 1.4 अरब है और इस तरह यह दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश है। इसकी जनसंख्या, अभी भी बढ़ रही है, 2062 तक यह 1.7 अरब तक पहुंच जाने की आशंका है। विस्तृत होती अर्थव्यवस्था, खर्च करने योग्य बढ़ती आय, बढ़ते शहरीकरण और तेज़ी से बदलती आहार संबंधी आदतों के बीच इस जनसंख्या वृद्धि से भोजन की अभूतपूर्व मांग पैदा हो रही है।

यदि भारत को अपनी बढ़ती आबादी का पेट भरना है और दुनिया के सबसे बड़े खाद्य निर्यातकों में से एक के रूप में अपनी पहचान को बनाए रखना है तो उसे अपने खेतों का विस्तार करने की ज़रूरत है। हमें यह ऐसे समय में करना है जब ग्लोबल वार्मिंग के कारण जलवायु परिवर्तन कहर बरपा रहा है। इससे मौसम का पैटर्न बदल रहा है और भयानक गर्मी, घनघोर बारिश तथा असामान्य ठंढ से लेकर कीटों के बढ़ते हमलों तक सब कुछ बदल रहा है। इसे सरल शब्दों में कहें तो - भारत की कृषि भूमि पर पहले से कहीं अधिक खाद्यान्न उत्पादन करने का दबाव है, जबकि खाद्यान्न उत्पादन करना और उससे बढ़ाना पहले से कहीं ज्यादा कठिन हो गया है।

घरेलू और वैश्विक स्तर पर बढ़ती खाद्यान्न की मांग को पूरा करने का यह दबाव भारत के किसानों की उत्पादन की ऊंची लागत, कृषि आय में कमी और भारी कर्ज का बोझ जैसी चुनौतियों को और बढ़ा रहा है जिससे वे पहले से ही जूझ रहे हैं। खेती के प्रति दृष्टिकोण को बदलने की ज़रूरत है। हमें कृषि क्षेत्र और अपने किसानों को न केवल मौजूदा बल्कि भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करने की आवश्यकता है। हमें उन्हें जलवायु परिवर्तन के लगातार बढ़ते प्रभावों के प्रति सक्षम और जानकर बनाते हुए अपनी कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ाने के लिए तैयार करने की ज़रूरत है।

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई), मशीन लर्निंग (एमएल), सेंसर-आधारित इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (आईओटी) पर आधारित नए दौर के डिजिटल समाधानों ने मानव अस्तित्व के लगभग हर पहलू को बदल दिया है। इसी तरह, इसमें भारत की कृषि भूमि के लिहाज़ से क्रांति लाने की शक्ति है। इससे सटीक कृषि (प्रेसिज़न एग्रीकल्चर) में मदद मिल सकती है। यह ऐसी पद्धति जो मिट्टी और फसल के स्वास्थ्य पर प्रौद्योगिकी और डेटा का उपयोग कर यह निर्धारित करती है कि फसल को उसके विकास चक्र के किस चरण मैं पानी, पोषक तत्वों और सुरक्षा उत्पादों की विशिष्ट मात्रा की आवश्यकता होगी।

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