जेएलएफ में समाजसेवी सुधा मूर्ति ने बेटी अक्षता से साझा की मन की बात
जयपुर,। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में सांसद और समाजसेवी सुधा मूर्ति ने उनकी बेटी अक्षता से साझा की अपने मन की बात। JLF के “माई मदर, माइ लाइफ” सेशन में सुधा मूर्ति से उनकी बेटी अक्षता मूर्ति ने काफी सवाल जवाब किए। सुधा मूर्ति के पति इंफोसिस के सह संस्थापकों में से एक नारायण मूर्ति और उनके दामाद एवं पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक भी मौजूद रहे।
अक्षता ने अपनी मां से सवाल पूछा कि क्या आदर्शवादिता बचपन तक ही सीमित रहती है? इस पर सुधा मूर्ति ने जवाब दिया कि मैं 74 साल की उम्र में भी आदर्शवादी हूं। मैंने अपने बच्चों को भी यही सीख दी है कि मनुष्य के जीवन में सच्चाई से बढ़कर कुछ नहीं। जैसा आप सोचते हो वैसा ही बोलना चाहिए और वैसा ही करना भी चाहिए। उन्होंने बताया कि उनके पिता भगवान की पूजा में विश्वास नहीं करते थे लेकिन वो प्राणी सेवा में विश्वास रखते थे।
हमारे यहां हर मौके पर किताबें भेंट में दी जाती थी और ये भी बताया जाता था कि जिंदगी में नॉलेज सबसे महत्वपूर्ण है। मेरा बचपन किताबों के साथ ही गुजरा है, मैं किताबों के बीच ही बड़ी हुई हूं, पैसों के साथ नहीं। इसलिए मैंने हमेशा तुम्हें और रोहन को किताबें ही भेंट की है। क्योंकि इनसे बड़ी कोई भेंट नहीं है।
सुधा ने कहा कि मैं 20 साल पहले सेक्स वर्कर्स को सुधारने के लिए गई थी। मुझे लगा था कि मैं 10 को भी सुधार सकी तो बड़ी बात होगी लेकिन मैंने अपने प्रयासों से 3000 सेक्स वर्कर्स को सुधारा। शुरुआत में यह मेरे लिए काफी चैलेंजिंग रहा टमाटर और पत्थर भी इन लोगों ने मुझे मारे जलील किया। लेकिन मैं ये करती रही और मेरे पति नारायण मूर्ति ने मुझे काफी सपोर्ट किया।
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