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राज्यसभा का 250वां सत्र शुरू,सिक्का,डाक टिकट और दो प्रकाशन जारी
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नयी दिल्ली - राज्य सभा के 249वें सत्र को पिछले कई वर्षों में सबसे अधिक उपयोगी बताते हुए नायडू ने नेताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया कि इस सत्र के दौरान वे इस सकारात्मक गति को बरकरार रखें ताकि कुछ और मील की दूरी को पूरा किया जा सके। विभाग संबंधी स्थायी समितियों की बैठकों में सदस्यों की अनुपस्थिति की जानकारी का उल्लेख करते हुए, नायडू ने नेताओं से आग्रह किया कि वे सांसदों की उचित उपस्थिति सुनिश्चित करें ताकि समीति चुने गए विभिन्न विषयों और संसद की ओर से भेजे गए विधेयकों का प्रभावी तरीके से अध्ययन कर सके और उसकी जानकारी दे सके। राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि 1952 में अपनी स्थापना के बाद से उच्च सदन ने देश के सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन में योगदान करते हुए एक लंबा सफर तय किया है, लेकिन अभी भी सही कामकाज की दिशा में 'मीलों' जाना बाकी है। उन्होंने यहां उपराष्ट्रपति निवास पर विभिन्न दलों और समूहों के नेताओं की एक बैठक में सदन की उपलब्धियों और इसके कामकाज पर चिंताओं को साझा किया। पिछले 67 वर्षों के दौरान उच्च सदन की यात्रा का लेखा-जोखा देते हुए, नायडू ने कहा, “195...
भारत में लगभग 51000 अखबार प्रकाशित हो रहे है,लेकिन धरातल पर कुछ ही बचे हुए है
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देश में ही नहीं पूरे विश्व में आर्थिक नीतियों और भारत में सरकार की गलत नीतियों के चलते समाचार पत्र बंद होने की कगार पर हैं नयी दिल्ली - प्रेस क्लब आफ इंडिया में आयोजित देश भर के मान्यता प्राप्त पत्रकारों की नवगठित संस्था मान्यता प्राप्त पत्रकार एसोसिएशन द्वारा आयोजित नेशनल प्रेस डे कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य द्वारा संपन्न हुआ , इस अवसर पर आदित्य ने पत्रकारिता कि महत्ता का वर्णन करते हुए संस्था कि गठन पर अपनी शुभककामनायें दी l उन्होंने कहा कि पूरे देश के दूर दराज इलाकों में बसे पत्रकारों को इसका लाभ मिलना जरूरी है ,कार्यकर्म में संस्था की स्मारिका का विमोचन भारत सरकार के पूर्व समाचार पत्र सूचना अधिकारी तथा प्रधान मंत्री के पूर्व प्रेस सलाहकार रहे एस नरेंद्रा ने किया , उन्होंने अपने उद्बोंधन में पत्रकारिता के बदलते स्वरूप को विस्तारपूर्वक बताया , नरेंद्रा ने कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार भारत में लगभग 51000 अखबार प्रकाशित हो रहे है , लेकिन धरातल पर कुछ ही पत्र बचे हुए है । उन्होंने बताया कि देश में ही नहीं पूरे विश्व...
दिल्ली में पीने के पानी के 11 सैम्पल लिए गए सभी गुणवत्ता के मामले में फ़ैल
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दिल्ली और राज्यों की राजधानियों में उपलब्ध जल की गुणवत्ता पर रिपोर्ट जारी की गई । यह रिपोर्ट हर घर में 2024 तक नलों के जरिए लोगों को पीने का साफ पानी उपलब्ध कराने के अभियान के अनुरूप जारी की गई है। इसके लिए भारतीय मानक ब्यूरो के माध्म से दिल्ली तथा राज्यों की राजधानियों में नल के जरिए आपूर्ति किए जाने वाले पीने के पानी की गुणवत्ता जांच करायी और जांच के नतीजों के आधार पर राज्यों,स्मार्ट शहरों और जिलों को रैकिंग दी गई। पहले चरण में, दिल्ली के विभिन्न स्थानों से पीने के पानी के नमूने लिए गए थे और दूसरे चरण में 20 राज्यों की राजधानियों से नमूने इकठ्ठा किए गए थे। इन नमूनों को भारतीय मानक 10500: 2012 (बीसीआई द्वारा निर्धारित पेयजल के लिए विशिष्टता) के अनुसार परीक्षण के लिए भेजा गया। जाचं के पहले चरण में इन नमूनों का विभिन्न मापदंडों जैसे कि ऑर्गनोलेप्टिक और फिजिकल टेस्ट, रासायनिक परीक्षण, विषाक्त पदार्थ और बैक्टीरिया आदि की मौजूदगी के हिसाब से परीक्षण किया गया। मानक ब्यूरो द्वारा निर्धारित एक या अधिक मापदंडों को पूरा करने के मामले मे...
समाचार पत्र और टीवी चैनल स्थापित करने वाले व्यवसायी एवं राजनेता अपने हितों को आगे बढ़ाते हैं – उपराष्ट्रपति
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नयी दिल्ली - उपराष्ट्रपति ने पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार 2019 के विभिन्न श्रेणियों के तहत विजेताओं को पुरस्कृत किया। जानेमाने पत्रकार गुलाब कोठारी को उनकी उत्कृष्ट पत्रकारिता के लिए प्रतिष्ठित 'राजा राम मोहन राय पुरस्कार' से सम्मानित किया गया। नायडू ने तीन प्रकाशन भी जारी किए जिनमें 1966 से भारतीय प्रेस परिषद की निर्देशिका,जर्नलिस्टिक कंडक्ट एडिशन-2019 के अद्यतन प्रावधान और एक स्मारिका 'रिपोर्टिंग- इंटरप्रिटेशन- अ जर्नी' शामिल हैं। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने मीडिया से आग्रह किया कि खबरों को विचारों के रंग में नहीं रंगना चाहिए। उन्होंने वस्तुनिष्ठता, निष्पक्षता और सटीकता बनाए रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, 'न्यूजरूम की निष्पक्षता और पवित्रता को हर हाल में बरकरार रखा जाना चाहिए।' उन्होंने राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि पाठकों और दर्शकों के लिए निष्पक्ष, वस्तुनिष्ठ, सटीक और संतुलित सूचना प्रस्तुत करने के लिए पत्रकारों को पत...
शिक्षा का स्वरूप स्वावलंबी और रोजगार पूरक होना आवश्यक
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लेखक > विजय सिंह बिष्ट आज से 50साल पहले कक्षा 7वीं और हायर सेकंडरी पास छात्रों को अध्यापकी और इण्टर पास को क्लर्क की नौकरी मिल जाती थी। मैं स्वयं बर्ष 1959ई0में हाई स्कूल के बाद जिला परिषदीय विद्यालय में नियुक्त हो गया था, मासिक वेतन मात्र 30रूपये थे। चलते चलते राजकीय विद्यालय से सेवामुक्त हुआ। आज हमारे पढ़ाये हुए विद्यार्थी भी प्रधानाध्यापक पदों से सेवामुक्त होकर एक अच्छी पेंशन लेकर आ रहे हैं। इन्ही पदों पर नियुक्ति पाने के लिए एम,ए,पी,यच,डी आज दांव लगाने पर भी नियुक्ति नहीं ले पा रहे हैं। ऐसा लगता है ऊंची शिक्षा सामान्य स्तर की जीविका पाने में भी समर्थ नहीं है।शिक्षा का प्रचार प्रसार ज्यों ज्यों बढ़ता जा रहा है, रोजगार और काम की समस्या भी त्यों त्यों विकराल बनती जा रही है। "काम चाहिए डिग्री नहीं" इस प्रकार के नारे कई बार दीक्षांत समारोह में जगह जगह सुने जाते हैं। हमारे देश में ऊंची शिक्षा वैसे भी मंहगी है हर व्यक्ति छात्र को मंहगी किताबें,कांलेज की फीस,आवास और रहन सहन के भार को वाहन नहीं कर सकता। निर्धन माता पिता अपना पेट काटकर भी अपने बच्चों को शिक्षा दिला रहे हैं,जब व...