सत्ता परिवर्तन के लिए छल बल और धन का प्रयोग किया गया
रामायण और महाभारत के काल में भी शासन सत्ता के परिवर्तन के लिए छल बल और धन लोलुपता का प्रयोग किया गया।राज्य और राज्यभिषेक के लिए आमंत्रण दिये गये थे। पुरातनकाल में राजवाड़ों को छद्म रूप से अपने में मिलाने के लिए मंत्री जैसे उच्चपद या सैनापति बनाने का लालच दिया जाता रहा है। जिसका स्वरूप आज भी राजनीति में परिलक्षित दिखाई दे रहा है। इसको शासन परिवर्तन के लिए प्रयुक्त करना सहज और नैतिक मूल्यों में उचित ठहराया जाना राजसता हथियाना ही कहा जाएगा। राज्य परिवर्तन के लिए आवश्यक है वर्तमान सरकार की भर्त्सना जितनी की जाय। जनमत प्राप्त करने के लिए जनता में सरकार की नाकामी में जो भी मिलावट की जाय अपने पक्ष में जनता को करना। ऐसा किसी भी गीता रामायण अथवा ग्रंथों में नहीं लिखा है कि जो सरकार बरसों से चल रही है वह हमेशा चलनी चाहिए। हम भी अपनी एक नई पार्टी बना सकते हैं। जो किसी भी आंदोलन से तैयार की जा सकती है। उसको नया रूप देना है बेकारी, भ्रष्टाचार, परिवारवाद,शामंतशाही को मिटाकर रामराज्य का आवरण पहनाना है।धरातल पर बिछी असंख्य जनता को सब्जबाग दिखाकर वोट आसानी से प्राप्त किए जाते हैं। समाज का वह विशिष...