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राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस' मनाने की नई परंपरा की शुरुआत...

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लख़नऊ - कोरोना महामारी के आपदा के दौर को भाजपा-आरएसएस आरक्षण पर भी चौतरफा हमले करने के अवसर के बतौर इस्तेमाल कर रही है.लगातार सुप्रीम कोर्ट से लेकर विभिन्न राज्यों की हाई कोर्ट आरक्षण के खिलाफ फैसला दे रही है,आरक्षण विरोधी टिपण्णियां कर रही है.इसी बीच ओबीसी आरक्षण में क्रीमी लेयर के लिए आय की गणना में बदलाव के जरिए ओबीसी आरक्षण को बेमतलब बना देने की साजिश की जा रही है.राष्ट्रीय स्तर पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिले में ओबीसी आरक्षण की लूट का सवाल भी उल्लेखनीय है.इस परिदृश्य में बिहार-यूपी के कई संगठन साझा पहल लेकर 26जुलाई को 'राष्ट्रीय सामाजिक न्याय दिवस' के रूप में मना रहे हैं. संगठनों का कहना है कि 2014 से ही सामाजिक न्याय पर हमलों और सामाजिक न्याय के मोर्चे पर हासिल उपलब्धिओं को खत्म करने की कोशिशों का नया दौर शुरु हुआ है. सामाजिक न्याय के लिए हमारे पूर्वजों ने अथक प्रयास, त्याग और बलिदानों से जो कुछ हमारे लिए हासिल किया था,वह छीना जा रहा है. इतिहास से प्रेरणा लेकर संघर्ष की विरासत को बुलंद करते हुए सामाजिक न्याय के मोर्चे पर हासिल उपलब्धियों को बचाने और सामाजिक न्याय का दायरा जी...

समाज,संविधान,लोकतंत्र के विषयों को हटाने से ब्राह्मणवादी-मनुवादी विचारों को मिलेगा बढ़ावा 

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समाज,संविधान,लोकतंत्र के विषयों को हटाने से ब्राह्मणवादी-मनुवादी विचारों को मिलेगा बढ़ावा। इन विषयों को निकालने का मकसद छात्रों के बस्ते का बोझ कम करना नहीं बल्कि गैर बराबरी और जातीय एवं साम्प्रदायिक भेदभाव पर आधारित समाज और व्यवस्था के लिए मार्ग प्रशस्त कर तानाशाही की तरफ बढ़ने की दीर्घकालिक योजना का हिस्सा प्रतीत होता है। लखनऊ । छात्रों पर बस्ते का बोझ कम करने के नाम पर विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और नागरिक शास्त्र आदि विषयों से संक्रामक बीमारियों सम्बंधी जानकारी, राजनीति, मानवाधिकार, विश्व बंधुत्व और सामाजिक कुप्रथाओं पर आधारित कई महत्वपूर्ण अध्यायों को शिक्षा के पाठ्यक्रमों से निकालने के सरकार के फैसले को रिहाई मंच ने वैज्ञानिक चेतना से वंचित करने और आने वाली पीढ़ियों को अंधविश्वास की तरफ ढकेलने वाला कदम बताते हुए उनकी पुनर्बहाली की मांग की है। रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि चुनाव, लोकतंत्र, सत्ता का विकेंद्रीकरण, राजनीति में नागरिकों की सहभागिता जैसे अध्यायों के साथ नाज़ीवाद और हिटलरशाही के अध्याय का पाठ्यक्रम से बाहर किया जाना लोकतंत्र के लिए बेहतर संकेत नहीं है। एक तरफ जहां ...

वक़्फ़ बोर्ड प्रबंधन और सरकार की भूमिका पर वेबिनार

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नयी दिल्ली - औक़ाफ़ एजुकेशनल फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया (AEFI) आगामी 26 जुलाई को "वक़्फ़ बोर्ड के प्रबंधन और सरकार की भूमिका" के विषय पर एक ऑनलाइन वेबिनार करने जा रही है. जिसमें देश के प्रसिद्ध सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील विशेष रूप से शकील सैयद, एजाज़ नकवी, इरशाद अहमद और फुज़ैल अयूबी इसमें भाग लेंगे। जामिया मिलिया इस्लामिया के विधि विभाग की प्रोफेसर कहकशां दानियाल साहिबा भी भाग लेंगी। सैयद ज़फर महमूद इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करंगे। इस कार्यक्रम का मक़सद है कि मुस्लिम समुदाय का वक़्फ़ सम्पत्तियों के प्रबंधन से राब्ता कराया जाए और सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी की तर्ज़ पर वक़्फ़ बोर्ड का प्रबंधन भी मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जाये | संगोष्ठी का संचालन प्रसिद्ध वकील मुहम्मद तारिक़ फारूकी द्वारा किया जाएगा। फारूकी दिल्ली वक़्फ़ बोर्ड के क़ानूनी सलाहकार रहे हैं।  इसके साथ ही इस फॉउंडेशन के सचिव मुज़फ्फर अली, दिल्ली हाई कोर्ट एडवोकेट असलम अहमद के अलावा वरिष्ठ पत्रकार व वकील और कारवां फाउंडेशन के फाउंडर रईस अहमद भी शिरकत करेंगे। औक़ाफ़ एजुकेशनल फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया एक पंजीकृत शैक्षणिक संस्था है जो वक़्...

द क्रिएटिव निर्वाणा द्वारा आर्ट के माध्यम से सामाजिक बदलाव लाने की पहल

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नयी दिल्ली - द क्रिएटिव निर्वाणा कला का उपयोग करके सामाजिक मुद्दों की सार्वजनिक चेतना बनाने का एक प्रयास है। हमारा उद्देश्य बड़े पैमाने पर युवाओं को सामाजिक और वैश्विक मुद्दों से निपटने के लिए रचनात्मक विचारों के साथ अंकुरित करना है। 10 मई 2020 को, हमने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में अपनी पहली अखिल भारतीय कला प्रतियोगिता “द महाARTमा @ 150” लॉन्च की। प्रतियोगिता का विषय 'रीसायकल फॉर द लाइफ साइकिल' था। प्रतियोगिता में बच्चों और 15-21 वर्ष की आयु के युवा वयस्कों को न केवल रचनात्मक कौशल का प्रदर्शन करने में मदद की, बल्कि सामाजिक जागरूकता पैदा करने में भी मदद की। इसने युवा दिमागों को इन विषयों पर सोचने, समझने के साथ ही उनकी कलात्मक्ता और रचनात्मकता को भी बढ़ावा दिया। हमें जबरदस्त प्रतिक्रिया मिली और पूरे देश से 250 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईं, जिनमें से हमारे सम्मानित ज्यूरी ने 20 सेमी-फाइनलिस्ट चुने। इन 20 सेमीफाइनलिस्टों को सार्वजनिक मतदान के लिए हमारे सामाजिक हैंडल्स पर प्रदर्षित गया था।कठोर चयन प्रक्रिया में कलाकृति, मूलविषय, प्रतिभागी का विश्वास, सार्वजनिक म...

स्वदेशी सोशल मीडिया नेटवर्क गोलबोल के पूरे हुए 10 लाख यूजर

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मुंबई : भारत के अग्रणी स्वदेशी सोशल मीडिया नेटवर्क गोलबोल के 10 लाख यूजर पूरे हो गए हैं। यह ब्रैंड की 7 महीने की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है। दिसंबर 2019 में शुरू हुए इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य लोगों को एक जैसी रुचि, आस्था और समानता वाले लोगों को वर्चुअल वर्ल्ड में भी प्रासंगिक और अर्थपूर्ण रिश्ते बनाने में मदद करना है। यह एक सुरक्षित जगह है, जहां लोग खुलकर अपने विचार व्यक्त कर सकते हैं। इसमें यूजर अपने अनुभव और विचार साझा कर सकते हैं और एक-दूसरे से बेहतर रिश्ते बना सकते हैं। हिंदी में उपलब्ध होने के साथ ही यह एप सोशल मीडिया और भारतीय यूजर के बीच के गैप को कम करने का कार्य करेगा, ताकि लोग आपस में जुड़ सकें। इस एप की गूगल प्ले स्टोर में 4.9 रेटिंग है और इसमें प्रत्येक दिन 50% यूजर एक्टिव होते हैं। इस उपलब्धि के बारे में बात करते हुए गोलबोल के सीईओ शानु विवेक ने कहा कि “ हमने देखा है कि बेहतरीन टेक्नोलॉजी होने के बावजूद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लोगों को साथ लाने के उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इस बात ने हमें ऐसा प्लेटफॉर्म बनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें लोगों को अच्छे रिश्...

तुलसी जयंती पर विशेष---समतामूलक समाज के पक्षधर--गोस्वामी तुलसीदास

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सुरेखा शर्मा लेखिका /समीक्षक एक तुलसी  आ चुका है एक तुलसी और आए एक पंछी गा चुका है एक पंछी और गाए। गोस्वामी तुलसीदास जी मानवीय चेतना के ऐसे प्रखर हस्ताक्षर थे जिनका सम्पूर्ण काव्य मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम को समर्पित है ।सम्पूर्ण जगत को राममय करने वाले तुलसीदास ने राजापुर ग्राम में संवत् १५५४ की श्रावण शुक्ला सप्तमी के दिन अभुक्त मूल नक्षत्र में बारह महीने गर्भ में रहने के पश्चात जन्म लिया था ।ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर पिता आत्माराम दूबे और माता हुलसी ने जन्म लेते ही   अशुभ मानकर इनका त्याग कर दिया था । कारण ,जन्म के समय से ही इनके मुख में 32 दांत और शरीर का आकार भी अन्य  बच्चों की अपेक्षा बहुत बड़ा था। चुनिया नाम की दासी ने इनका लालन-पालन किया ।किंवदन्ति यह भी है कि पैदा होते ही  रोने के स्थान पर इनके मुख से 'राम' शब्द निकला था  जिस कारण इनके गुरु  श्री नरहर्यानंद जी ने इनका नाम 'रामबोला ' रखा । बचपन से ही इनकी बुद्धि इतनी प्रखर थी कि ये एकबार जो सुन लेते  वही इन्हें कंठस्थ हो जाता ।गुरु नरहर्यानंद जी इन्हें अपने साथ अयोध्या ले गए ।वहीं पर...

लफ़्जों के ज़ायके

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डॉ• मुक्ता 'लफ़्जों के भी ज़ायके होते हैं। परोसने से पहले चख लेना चाहिए।' गुलज़ार जी का यह कथन महात्मा बुद्ध के विचारों को पोषित करता है कि 'जिस व्यवहार को आप अपने लिए उचित नहीं मानते, वैसा व्यवहार दूसरों से भी कभी मत कीजिए' अर्थात् 'पहले तोलिए, फिर बोलिए' बहुत पुरानी कहावत है। बोलने से पहले सोचिए, क्योंकि शब्दों के घाव बाणों से अधिक घातक होते हैं; जो नासूर बन आजीवन रिसते रहते हैं। सो! शब्दों को परोसने से पहले चख लीजिए कि उनका स्वाद कैसा है? यदि आप उसे अपने लिए शुभ, मंगलकारी व स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानते हैं, तो उसका प्रयोग कीजिए, अन्यथा उसका प्रभाव प्रलयंकारी हो सकता है, जिसके विभिन्न उदाहरण आपके समक्ष हैं। 'अंधे की औलाद अंधी' था...महाभारत के युद्ध का मूल कारण...सो! आपके मुख से निकले कटु शब्द आपकी वर्षों की प्रगाढ़ मित्रता में सेंध लगा सकते हैं; भरे-पूरे परिवार की खुशियों को ख़ाक में मिला सकते हैं; आपको या प्रतिपक्ष को आजीवन अवसाद रूपी अंधकार में धकेल सकते हैं। इसलिए सदैव मधुर वाणी बोलिए और तभी बोलिए जब आप समझते हैं कि 'आपके शब्द मौन से बेहतर हैं।...