डाॅ.कल्पना पाण्डेय की सद्य प्रकाशित कृति 'अनावरण' हृदय को उन्मुक्त और अनावृत किया
० शकुंतला मित्तल ० प्रतिष्ठित,वरिष्ठ साहित्यकार ,अति विनम्र,स्नेहिल व्यक्तित्व और मृदु भाषी मेरी छोटी बहन समान आदरणीया प्रिय कल्पना पाण्डेय जी की पुस्तक कुछ समय पूर्व प्राप्त हुई।तत्काल पढ़ कर अपनी प्रतिक्रिया देना चाहती थी पर फोन के टंकण में कुछ तकनीकी खराबी आ गई। लीजिए प्रस्तुत है मेरी समीक्षा एक वरिष्ठ साहित्यकार की पुस्तक अनावरण के लिए हृदय की मुक्तावस्था का सफर कराती कविताएँ हैं अनावरण वरिष्ठ कवयित्री और साहित्यकार डाॅ.कल्पना पाण्डेय की सद्य प्रकाशित कृति 'अनावरण' मेरे पास आई तो शीर्षक पढ़ते ही हृदय में आचार्य रामचंद्र शुक्ल का यह कथन गूंज उठा," हृदय की मुक्तावस्था रसदशा कहलाती है और हृदय की इसी मुक्ति की साधना के लिए मनुष्य की वाणी जो शब्द विधान करती आई है,उसे कविता कहते हैं।" मैंने उत्सुकतावश कवयित्री की कविताओं को पढ़ते हुए उनके रचना संसार में प्रवेश किया तो इस बात को गहराई से अनुभूत किया कि डाॅ कल्पना पाण्डेय ने हृदय पर चढ़े स्वार्थ,लोभ,मोह अपना-पराया के सभी आवरण उतार कर हृदय को पहले उन्मुक्त और अनावृत किया है और समाज,देश,प्रकृति सबके साथ शुद्ध भावनात्मक...